हिंदी भाषा की उत्पत्ति एवं विकास
हिंदी भाषा की उत्पत्ति एवं विकास:- आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आप के साथ हिंदी भाषा की उत्पत्ति एवं विकास विषय के बारे में चर्चा करेंगे|
इससे पहले कि पोस्ट में हम “हिंदी साहित्य की नेट परीक्षा प्रश्नोत्तरी” के बारे में पढ़ चुके हैं|
हिंदी भाषा की उत्पत्ति एवं विकास:-
हिंदी भाषा भारोपीय परिवार की भाषा मानी जाती है। मुख्य रूप से हमारे भारत देश में द्रविड़ परिवार और आर्य परिवार की भाषाएं बोली जाती हैं। दक्षिण भारत की भाषा द्रविड़ परिवार की भाषाएं तथा उत्तर भारत की भाषाएं आर्य परिवार की भाषाएं हैं।
संस्कृत भाषा में उत्तर भारतीय आर्य भाषाओं में सबसे प्राचीन भाषा है| ऋग्वेद में इसका प्राचीनतम रूप मिलता है और हिंदी भाषा इसी की उत्तराधिकारिणी है।
हिंदी भाषा की उत्पत्ति एवं विकास:-
मुख्य रूप से भारतीय भाषाओं को चार भाषा परिवारों में विभाजित किया गया है-
1.- भारोपीय भाषा परिवार
2.- द्रविड़ भाषा परिवार
3.- ऑस्ट्रिक भाषा परिवार
4.- चीनी तिब्बती भाषा परिवार
आर्य भारतीय भाषाओं को 3 भागों में बांटा गया है-
1.- भारत का प्राचीन आर्य भाषा काल (1500 ई. पूर्व से 500 ई. पूर्व तक )
2.- मध्यकालीन भारत का आर्य भाषा काल (500 ई. पूर्व से 1000 ई. तक)
3.- भारत का आधुनिक आर्य भाषा काल (1000 ई.से अब तक)
संस्कृत भाषा को हिंदी की आदि जननी भाषा माना जाता है| हिंदी भाषा के इतिहास का आरंभ सामान्यतः अपभ्रंश शौरसेनी से माना जाता है।
1.- भारत का प्राचीन आर्य भाषा काल:- वैदिक संस्कृत एवं लौकिक संस्कृत दो ही भाषाएं प्राचीन भारतीय आर्य भाषा काल में थी। ब्राह्मण ग्रंथ उपनिषद चारों वेद की रचना इसी काल में हुई। रामायण, महाभारत आदि काव्य ग्रंथ लौकिक संस्कृत में ही लिखे गए।
हिंदी भाषा का विकास क्रम
2.- भारत का मध्यकालीन आर्य भाषा काल – इस काल में तीन भाषाएं विकसित हुई-
(i) पालि भाषा का विकास
(ii) प्राकृत भाषा का विकास
(iii) अपभ्रंश भाषा का विकास
(i) पालि भाषा का विकास – (500 ईसवी पूर्व से 1 ईसवी तक) – मागधी भाषा, पालि भाषा को ही कहा जाता है। बौद्ध धर्म के त्रिपिटक जिनके नाम हैं- सुत्त पिटक, विनय पिटक, अभिधम्म पिटक, पाली भाषा में ही लिखे गए हैं|
(ii) प्राकृत भाषा का विकास – (1 ईस्वी से लेकर 500 ईसवी तक) – आम लोगों की बोलचाल की भाषा होने के कारण प्राकृत भाषा पंडित लोगों के द्वारा प्रयोग में नहीं लाई जाती थी। जैन साहित्य को प्राकृत भाषा में लिखा गया|
हिंदी भाषा की उत्पत्ति एवं विकास:-
प्राकृत भाषा के पांच भेद थे –
1.- शौरसेनी प्राकृत भाषा :- शौरसेनी प्राकृत भाषा मथुरा या शूरसेन जनपद के क्षेत्र में बोली जाती थी|
2.- पैशाची प्राकृत भाषा :- कश्मीर के आसपास यह भाषा उत्तर पश्चिम के क्षेत्र में बोली जाती थी।
3.- मागधी प्राकृत:- मगध के आसपास के क्षेत्र में यह भाषा प्रचलित थी।
4.- अर्द्ध मागधी भाषा : मागधी और शौरसेनी के बीच के क्षेत्र में यह अर्द्ध मागधी भाषा बोली जाती थी।
5.- महाराष्ट्री प्राकृत भाषा :- महाराष्ट्र राज्य में यह भाषा बोली जाती थी।
(iii) अपभ्रंश भाषा (500 ईसवी से 1000 ईसवी तक):- इसे देश भाषा, देसी भाषा, अवहठ भाषा, अवहट्ठ भाषा आदि नामों से पुकारा गया। अपभ्रंश शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है बिगड़ा हुआ रूप।
किसी भाषा का रूप सुसंस्कृत न रहकर जब आम बोलचाल की भाषा वाला हो जाता है तो उस समय पंडित लोगों द्वारा वह भाषा प्रयोग में नहीं लाई जाती है| उसे उनके द्वारा अपभ्रंश का नाम दे दिया जाता है ।
हिंदी भाषा का स्वरूप और विकास
इसी अपभ्रंश भाषा से आधुनिक आर्य भाषाओं का विकास हुआ है। अपभ्रंश भाषा से ही हिंदी का विकास भी हुआ है। अपभ्रंश भाषा के उत्तर भारत में सात क्षेत्रीय रूपांतरण प्रचलित थे| कालांतर में इनसे आधुनिक आर्य भारतीय भाषाओं का विकास हुआ| इनका विवरण निम्न प्रकार से है-
1.- शौरसेनी अपभ्रंश भाषा – राजस्थानी, गुजराती, पश्चिमी हिंदी|
2.- पैशाची अपभ्रंश – पंजाबी, लहंदा
3.- ब्राचड़ अपभ्रंश – सिंधी
4.- खस अपभ्रंश – पहाड़ी
5.- महाराष्ट्री अपभ्रंश – मराठी
6.- मागधी अपभ्रंश – बंगला, असमिया, बिहारी, उड़िया
7.- अर्द्ध मागधी अपभ्रंश – पूर्वी हिंदी
मूल रूप से हिंदी भाषा की उत्पत्ति शौरसेनी अपभ्रंश से हुई है।
हिंदी भाषा की उत्पत्ति एवं विकास:-
हिंदी भाषा की 5 उप भाषाएं हैं तथा 18 बोलियां है जिनका वर्णन निम्न प्रकार से किया जा सकता है-
1.- पश्चिमी हिंदी:- खड़ी बोली, कौरवी, हरियाणवी, बांगरू, ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुंदेली|
2.- पूर्वी हिंदी:- अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी
3.- राजस्थानी:- मारवाड़ी,जयपुरी, डुंढारी, मेवाती, मालवी
4.- बिहारी:- भोजपुरी, मगही, मैथिली
5.- पहाड़ी:- नेपाली, कुमाऊंनी, गढ़वाली
राजभाषा किसे कहते हैं?
यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है राज के कार्यों की भाषा। देश के राज्यों के कार्य में जो भाषा प्रयोग की जाती है उसे राजभाषा कहते है।
हिंदी को 14 सितंबर 1949 को स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत भारत की राजभाषा के रूप में घोषित किया गया था। अनुच्छेद 343 से 351 तक भारतीय संविधान में राजभाषा के लिए विशेष प्रावधान किए गए| यह भी स्पष्ट किया गया कि भारतीय संघ की लिपि देवनागरी होगी तथा राजभाषा हिंदी होगी।
हिंदी भाषा का क्रमिक विकास
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात पन्द्रह साल के बाद भी सारा राजकार्य हिंदी की बजाय अंग्रेजी भाषा में होता रहा है। आज के समय में भी सरकार का अधिकांश काम-काज अंग्रेजी भाषा में होता आ रहा है|
संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को भारत की स्वतंत्रता के बाद एकमत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी। सन् 1953 से भारत में 14 सितंबर को ‘हिन्दी दिवस‘ के रूप में मनाया जाएगा।
आर्टिकल 343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिंदी तथा लिपि देवनागरी होगी। ब्राह्मी लिपि से देवनागरी लिपि की उत्पत्ति हुई है। ब्राह्मी लिपि से अधिकतर भारतीय भाषाओं का विकास हुआ है। प्रारंभ में भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 14 भाषाएं थी तथा वर्तमान समय में 22 भाषाएं हैं।
सन् 1975 में नागपुर में प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ था।।
अगस्त सन् 2018 हाल ही में 11वां विश्व हिंदी सम्मेलन में मारीशस में हुआ था।
Hindi Bhasha Ka Vikas Kram
भारत में हर वर्ष ‘14 सितंबर‘ को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। विश्व में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में हिन्दी भाषा भी शामिल है। हिन्दी विश्व की सरल, समृद्ध, प्राचीन भाषा के साथ हमारी राष्ट्रभाषा भी है। हिन्दी भाषा सबसे ज्यादा बोली जाने वाली विश्व की तीसरी भाषा है।
हिन्दी भाषा का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ा तथा इसने राष्ट्रभाषा का रूप ले लिया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अब हमारी राष्ट्रभाषा बहुत पसंद की जाती है| विद्यार्थी हमारी भाषा और संस्कृति को जानने के लिए आज विश्व के कोने-कोने से हमारे देश में आ रहे हैं।
महत्त्वपूर्ण तथ्य:-
1.- 11वां विश्व हिंदी सम्मेलन कब और कहां हुआ था?
अगस्त 2018 में मारीशस में 11वां विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ था|
2.- हिन्दी दिवस कब मनाया जाता है?
हर वर्ष ‘14 सितंबर‘ को भारत में हिन्दी दिवस मनाया जाता है|
3.- हिंदी की देवनागरी लिपि में कितने वर्ण हैं?
हिंदी की देवनागरी लिपि में 52 वर्ण हैं|
4.- हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा कब मिला?
देवनागरी लिपि में हिंदी भाषा को 1950 में अनुच्छेद 343 का अंतर्गत राष्ट्रभाषा का दर्जा मिला|