सुनामी के प्रकार तथा कारण
सुनामी के प्रकार तथा कारण:- आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपसे सुनामी के प्रकार तथा कारण के बारे
में विस्तार से चर्चा करेंगे| सुनामी से क्या अभिप्राय है, यह कितने प्रकार की होती है तथा इससे बचाव के क्या
उपाय है, इन सब के बारे में विस्तार से पढेंगे?
इससे पहले की पोस्ट में हम आप को “भारत के प्रमुख पठार ” के बारे में विस्तार से बता चुके हैं|
सुनामी का अर्थ:-
यह शब्द जापानी भाषा से लिया गया है| जापानी भाषा में समुद्री तूफ़ान को सुनामी कहते हैं| अर्थात बन्दरगाह
के निकट की लहर। इस भाषा के अनुसार सुनामी शब्द Tsu और Nami दो शब्दों से मिलकर बना है इसमें Tsu
शब्द का अर्थ है हर्बर अर्थात बंदरगाह और Nami शब्द का अर्थ है तरंग।
दुसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि सूनामी जापानी शब्द है जो सू और नामी से मिल कर बना है| सू शब्द का
अर्थ है समुद्र तट और नामी शब्द का अर्थ है लहरें| समुद्र में उठी ऊँची-ऊँची लहरों को सूनामी
कहा जाता है| इसका अर्थ यह हुआ कि जो तरंगे समुद्र के तटीय क्षेत्रों या बंदरगाहों को प्रभावित
करती हैं वे सुनामी कहलाती है।इस शब्द का इस्तेमाल जापान के उन मछुआरों के द्वारा किया
गया था जिन्होंने कई बार समुद्र में तरंगों की कोईविशेष हलचल को तो नहीं देखा था लेकिन
इसके बावजूद भी बंदरगाह को उजड़ा हुआ देखा था।
जब कभी समुद्र के अंदर अचानक बड़ी तेज़ हलचल होने लगती है तो उसके अंदर उफान उठता है| इन्हीं
लहरों की इन जबरदस्त हलचल को ही सूनामी कहते हैं| यह जबरदस्त आवेग के साथ आगे बढ़ता है|
सुनामी व इसके कारण
पहले समय में सूनामी को समुद्र में उठने वाले ज्वार-भाटा के रूप में भी लिया जाता रहा है लेकिन ऐसा सत्य नहीं है|
समुद्र में लहरे चंद्रमा तथा सूर्य और ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारण से उठती हैं| परन्तु सूनामी लहरें इन
उठने वाली आम लहरों से अलग होती हैं|
वास्तव में ये बहुत लम्बी यानी कि सैकड़ों किलोमीटर चौड़ी लहरे होती हैं| जब ये तट के पास आती हैं तो इन लहरों
का निचला हिस्सा तो ज़मीन को छूने लगता है, इनकी गति धीमी हो जाती है तथा ऊँचाई बढ़ जाती है।
इनकी रफ़्तार 720 किलोमीटर प्रति घण्टा होती है तथा ऊँचाई 10-12 मीटर से लेकर 18-20 मीटर तक हो सकती है| ये समुद्र के
खारे पानी की एक चलती हुई दीवार सी मालूम होती है। ये तूफ़ान अक्सर समुद्री भूकम्पों की वजह से पैदा होते हैं।
बंगाल की खाड़ी तथा हिन्द महासागर व अरब सागर में इस तरह की घटनाएं नहीं होती जबकि प्रशान्त महासागर में
ये बहुत आम हैं। भारतीय भाषाओं में इसीलिए सुनामी के लिए शायद विशिष्ट नाम नहीं है।
न्यूजीलैंड देश का पूरा समुद्रीय तट सुनामी के खतरे में आता है। यह समुद्री तटों पर तीव्र गति से बाढ़ ला सकती है|
इनके आने से सम्पत्ति का विनाशकारी नुकसान हो सकता है तथा जान और माल की बहुत बड़ी हानि हो सकती है।
सुनामी के कारण:-
सुनामी आने के मुख्यतः दो कारण होते हैं-
1.-प्राकृतिक कारण
2.-मानवीय कारण
1.- प्राकृतिक कारण:-
Tsunami Aane Ke Mukhy Kaarn
(क) – भूकंप:-
जब समुद्र में भूकंप आता है तो इसका जल ऊपर की ओर उठना आरम्भ कर देता है| अपनी पुरानी अवस्था
को प्राप्त करने के लिए यह जल तेजी से नीचे की ओर गिरता है| इस कारण से समुद्र के चारों ओर गोलाकार
तरंगों का उठाना शुरू हो जाता है। ऐसा उसी प्रकार से होता है जैसे किसी पत्थर को पानी में फेंकने से पानी
में गोलाकार तरंगे बनती हैं।
(ख) – ज्वालामुखी:-
ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा जब समुद्र में गिरता है तो समुद्र में ऊँची-ऊँची धाराओं का निर्माण
होता है इनसे आस-पास का जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित होता है।
(ग) – हिमखंड:-
अगर आप कनाडा, नार्वे जैसे ध्रुवीय या आर्कटिक के आसपास के देशों की ओर ध्यान दें, यहां पर बहुत
बड़े-बड़े हिमखंड पाए जाते हैं| जब यह हिमखंड खिसक कर समुद्र में गिरते हैं तोउस समय समुद्र में
विशालकाय लहरे उत्पन्न होती है जिससे तटवर्ती क्षेत्र बहुत बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
(घ) – उल्का पिंड:-
जब पृथ्वी के महासागरीय क्षेत्र से कोई अंतरिक्ष से आने वाला उल्कापिंड अचानक टकराता है तब इस
पिंड के टकराने के कारण समुद्र में विशाल तरंगें उत्पन्न होती है| इस प्रकार से यह भी सुनामी आने का
एक महत्त्वपूर्ण कारण है।
(ङ) – भूस्खलन:-
समुद्री इलाकों के आसपास भारी वर्षा होती रहती है| वर्षा के अत्यधिक होने के कारण पहाड़ी क्षेत्रों के
बड़े-बड़े टुकड़े खिसककर समुद्र में जा गिरते हैं जिस कारण से सुनामी तरंगों का निर्माण होता है।
क्यों आती है सुनामी?
2.- मानवीय कारण:-
(क) – परमाणु परीक्षण:-
समुद्री क्षेत्रों में जब किसी देश के द्वारा परमाणु परीक्षण किए जाते हैं तो समुद्र में तबाही मचाने वाली भयंकर
लहरें उठती हैं| ये लहरें बहुत ज्यादा विनाशकारी होती हैं तथा इनसे निकटवर्ती क्षेत्रों में काफी नुकसान होता है।
इस कारण से भी समुद्री लहरे सुनामी का रूप धारण कर लेती है।
समुद्री तट पर सूनामी लहरें भीषण हमला करती हैं और जान-माल का बुरी तरह नुक़सान कर सकती है|
सुनामी की पूर्व चेतावनी:-
भूकंप के बारे में जिस तरह वैज्ञानिक भविष्य वाणी नहीं कर सकते ठीक वैसे ही सूनामी के बारे में भी अंदाज़ा
लगा पाना कठिन कार्य है| लेकिन महाद्वीपों की स्थिति तथा सूनामी के अब तक के रिकॉर्ड को
देखकर वैज्ञानिक इस के बारे में कुछ थोड़ा बहुत आईडिया जरूर लगा सकते हैं जहाँ पर धरती की जो प्लेट्स
या परतें मिलती है सूनामी का ख़तरा वहाँ के आसपास के समुद्र में ज़्यादा होता है|
सुमात्रा जहां पर ऑट्रेलियाई और यूरेशियाई परत मिलती हैं तथा यह दूसरी तरफ फिलीपीन की परत से भी जुड़ा
हुआ है| वहाँ सूनामी लहरों का भयंकर कहर देखा जा चुका है|
जब सूनामी की लहरें किनारे की तरफ़ बढ़ती है तो उसमे इतनी तीव्र गति होती है कि वो 30 मीटर की ऊँचाई
तक ऊपर उठ सकती है और अपने रास्ते में आने वाले भवन, सड़क, पुल, रेल की लाइने,पेड़, जंगल या इमारतें
सबका सफ़ाया कर देती है|
सुनामी के प्रकार:-
सुनामी मुख्य रूप से तीन प्रकारकी होती हैं-
1.- दूरस्थ सुनामी
2.- क्षेत्रीय सुनामी
3.- स्थानीय सुनामी
1.- दूरस्थ सुनामी:-
चिली में प्रशांत के पार की सुनामी दूर लम्बे रास्ते में उत्पन्न होती है इसे दूरस्थ सुनामी के नाम से जाना
जाता है|ऐसी अवस्था में हमारे लिए चेतावनी का तीन घंटे से भी अधिक का समय होगा।
सुनामी के प्रकार
2.- क्षेत्रीय सुनामी:-
क्षेत्रीय सुनामी अपनी यात्रा के समय को गंतव्य से दूर लगभग तीन घंटे की अवधि के बीच उत्पन्न होती हैं|उत्तर
करमाडेक का क्षेत्र जो कि न्यूजीलैंड के अन्तगर्त आता है यह पानी के नीचे ज्वालामुखी उदगार क्षेत्रीय सुनामी
उत्पन्न कर सकता है|
3.- स्थानीय सुनामी:-
यह सुनामी न्यूजीलैंड के बहुत ही करीब के क्षेत्र में उत्पन्न होती हैं अत: इसे स्थानीय सुनामी कहते हैं| इस प्रकार
की सुनामी बहुत ही खतरनाक होती है क्योंकि चेतावनी के केवल कुछ मिनट ही हमारे पास हो सकते हैं।
सुनामी की चेतावनी:-
सुनामी के बारे में चेतावनी संदेश और संकेत अनेक सम्भावित स्रोतों से आ सकते हैं| इनमे सुनामी की चेतावनी
के निम्न स्रोत हो सकते है-
1.- प्राकृतिक चेतावनी
2.- आधिकारिक चेतावनी
3.- गैर आधिकारिक या अनौपचारिक चेतावनी
1.- प्राकृतिक चेतावनी:-
यह सुनामी मिनटों में पहुंच सकती है क्यों कि यह स्थानीय क्षेत्र पर आधारित होती है| इस सुनामी के लिए समय
नहीं होगा। ऐसे में अति शीघ्रता से कार्य करना तथा प्राकृतिक चेतावनी के संकेतों को पहचानना महत्वपूर्ण है।
2.- आधिकारिक चेतावनी:-
इस प्रकार की चेतावनियां केवल दूर की और क्षेत्रीय स्रोत पर आधारित सुनामी के लिए ही संभव हैं। आधिकारिक
अथवा सरकारी चेतावनियां आपदा प्रबंधन एवं नागरिक प्रतिरक्षा मंत्रालय द्वारा सरकारी मीडिया या अन्य प्रमुख
जिम्मेदार एजेंसियों के द्वारा प्रसारित की जाती हैं।
3.- गैर आधिकारिक या अनौपचारिक चेतावनी:-
आप अपने दोस्तों, सामान्य जनों, प्राइवेट मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से इन चेतावनियों को प्राप्त कर सकते हैं।
इस प्रकार की चेतावनी को तभी सत्यापित माने जब आप बहुत जल्दी समय में ऐसा कर सकें।
किसी प्रकार से यदि आधिकारिक चेतावनी प्राप्त हो सके तो अनौपचारिक चेतावनियों के बजाय उन पर अधिक
विशवास करना चाहिए|
सुनामी के आने से पहले सावधानियां
सुनामी के आने से पहले की तैयारी आपके घर और कारोबार के नुकसान को कम करने में और आपको जीवित रहने
में मदद करेगी-
(क) – आप यदि किसी एक तटीय क्षेत्र में रहते हैं, तो अपनी स्थानीय चेतावनी व्यवस्थाओं के बारे में अपनी निकट की
परिषद से जानकारी प्राप्त कर लें।
(ख) – यदि आप विशिष्ट आवश्यकताओं वाले व्यक्ति या विकलांग की श्रेणी में आते हैं, तो अपने आपको सतर्क रखने
के लिए अपने आस-पास के सहयोगों से व्यवस्था स्थापित कर लें।
(ग) – गैट अवे किट को तैयार रखें और घरेलू आपातकालीन इंतजाम बनाएं |
(घ) – यह पता लगाने कि कौशिश करें कि नजदीक के क्षेत्र में कहां पर जमीन ऊंचाई पर स्थित है तथा आप वहां कैसे
पहुंच सकते हैं| जितना हो सकें आप उतनी ऊंचाई पर या फिर तट से बहुत दूर के क्षेत्र में पहुंचने की योजना बनाएं।
जब आप काम पर हों, घर पर हो या फिर तट के निकट छुट्टियां मना रहें हो तो इन सब हालातों के लिए अपने बचाव की
योजना बना कर रखे।
सुनामी आने के दौरान क्या करें:-
1.- अपनी गेटअवे किट, यदि संभव हो तो, को अपने साथ ले लें तथा जोखिम वाले क्षेत्रों की तरफ न जाएं।
2.- यदि आप सुरक्षित रूप से ऐसा कर सकें तो अपने पालतू पशुओं को अपने साथ ले लें ।
3.- जितना जल्दी हो सके समीप की सबसे ऊंची जगह की ओर जाएं या तट से काफी दूर क्षेत्र में पहुंचें|
4.- बहुत जरूरी हो तब ही गाड़ी चलाएं संभव हो तो पैदल या साइकिल से ही जाएं| आप अपने पीछे से आने वालों को
साइड देते रहें तथा चलना जारी रखें।
सुनामी के कारण तथा वाचाव के उपाय
5.- यदि ऐसा करना सुरक्षित हो नाव को समुद्र में ले जायें तथा सुरक्षित स्थान पर चलें जायें|
6.- कभी भूलकर भी सुनामी देखने के लिए तट पर ना जाएं।
जब तक खतरा पूरी तरह से ना टले जोखिम वाले क्षेत्रों से दूर रहें|
7.- अपने स्थानीय रेडियो केन्द्रों को सुनें जहां प्रबंधन कर्मचारी आप के लिए सबसे उपयुक्त सलाह जारी करेंगे।
सुनामी आने के पश्चात क्या करें:-
(i) – लगातार नागरिक प्रतिरक्षा सलाह के लिए रेडियो को सुने और हाई रिस्क के क्षेत्र में वापस न जाएं जब तक ऐसा
जाने के लिये ना कहा जाए|
(ii) – एक से अधिक लहरें भी हो सकती हैं इसलिए सावधान रहें| बाद में आने वाली लहरें और भी बड़ी व तीव्र हो
सकती हैं।
(iii) – चोट लगने पर अपनी जांच करें और यदि जरूरी हो तो प्राथमिक चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। दूसरों की
मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहें|
(iii) – सुनामी के दृश्य देखने समुद्र तट पर ना जाएं।
(iv) – घरों या भवनों में पुन: प्रवेश करते समय अत्यन्त अधिक सावधानी बरतें क्योंकि हो सकता है बाढ़ का पानी
भवनों को बहुत नुकसान कर चुका हो | उपयोगी बिजली पानी की टूटी लाईनों की जांच करने के बाद ही प्रयोग करें|
(iv) – अपनी नष्ट हुई सम्पत्ति का विवरण तैयार करें तथा इसका फोटो खींच लें| यदि आप किराये के घर में रहते
हों तो अपने मालिक से तुरंत सम्पर्क स्थापित करें| अपनी नष्ट हुई सम्पत्ति के सम्बन्ध में बीमा कम्पनी से सम्पर्क
स्थापित करें|
भारत में सुनामी लहरें
दिसंबर 2004 में भारत के दक्षिणी राज्यों में भयानक सुनामी आई थी। यह महाविनाश लाखों लोगों को निगल गया|
हजारों- लाखों लोग बेघर हो गए। इस सुनामी के कारण, मलेशिया ,थाईलैंड ,श्रीलंका आदि देश तथा भारत के
तटवर्तीय राज्यों को बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ा।
यह सुनामी बवंडर सुमात्रा द्वीप के दक्षिण पूर्व में उठा था। रिक्टर पैमाने पर 8 से भी अधिक की तीव्रता वाले भूकंप ने
एशिया के दक्षिणी हिस्से को झकझोर कर रख दिया था।
भारत के दक्षिणी राज्यों में कहर बनकर टूटी सुनामी ने अपने साथ हजारों जिंदगियों केसाथ-साथ अरबों रुपए की
संपत्ति का विनाश कर दिया| ।
सुनामी से बचने के उपाय:-
और अन्त में हम देखते हैं कि सुनामी से बचने के क्या उपाय हो सकते हैं?
- समुद्रीय तट से कम से कम सौ फीट से भी अधि ऊँचाई के ऊपर या फिर दो मील की दूरी पर आश्रय लें।
- पहले से निकासी मार्ग और स्थानों की पहचान करें।
- आप का स्थान किसी नदी के किनारे न हों।
- समुद्र तट से तेजी से घटते पानी के संकेतों पर विशेष ध्यान दें।
- किसी भी आधिकारिक सूचना के बिना तटों के पास न जाए क्यों कि सुनामी की काफी सारी लहरों की प्रबलसम्भावना बनी रहती है|
- सुनामी के दौरान संकेतों का बिलकुल भी अनदेखा ना करें।