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वीर सावरकर का जीवन परिचय

वीर सावरकर का जीवन परिचय
Written by Rakesh Kumar

वीर सावरकर का जीवन परिचय

वीर सावरकर का जीवन परिचय:- आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आप के साथ वीर सावरकर

का जीवन परिचय के बारे में  चर्चा करेंगे| वीर सावरकर कौन थे, ये किस कारण से विख्यात थे तथा

भारत के इतिहास में इनको इतना महत्त्व क्यों दिया गया, इन सब विषयों के बारे में विस्तार से पढेंगे?

इससे पहले की पोस्ट में हम आप को “भारत के रास्ट्रीय चिह्न के बारे में विस्तार से बता चुके हैं|

वीर सावरकर का जीवन परिचय:-

वीर दामोदर सावरकर भारतीय राष्ट्रवादी विचारधारा के व्यक्ति थे|

ये हिंदू महासभा राष्ट्रवादी संगठन के प्रमुख सदस्य थे| सावरकर एक भावुक लेखक थे तथा पेशे

से एक वकील थे| इनके जीवन का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं के बीच सामाजिक और राजनीतिक एकता

का विकास करना था| 1921 में सावरकर द्वारा अपनी एक रचना के माध्यम से ‘हिंदुत्व’ शब्द जो

भारत में हिंदू राष्ट्रवाद का एक रूप है, लोकप्रिय हुआ था|

वीर सावरकर का जीवन परिचय:-

ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तथा महात्मा गांधी  के गंभीर आलोचक थे|  शुरू में सावरकर पर महातमा

गांधी जी की हत्या करने का आरोप भी लगाया गया था| बाद में इन्हें बरी कर दिया गया था|

सावरकर ने 1 फरवरी सन 1966 को यह घोषणा कर दी कि वह मृत्यु तक उपवास रखेंगे| इसके पश्चात

उन्होंने भोजन खाना बंद कर दिया तथा दवाएँ भी त्याग दी| उनकी 26 फरवरी, 1966 को मृत्यु हो गई

लेकिन वीर सावरकर के कार्य ने उन्हें अमर बना दिया|

विनायक सावरकर का जीवन परिचय

संक्षिप्त परिचय वीर सावरकर :-

जन्म वर्ष  : 28 मई सन 1883

जन्म का स्थान : बॉम्बे प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत

मृत्यु वर्ष : 26 फरवरी सन 1966

मृत्यु का स्थान : बॉम्बे, भारत

पेशा : वकील, लेखक, कार्यकर्ता तथा  राजनीतिज्ञ

वीर सावरकर का जीवन परिचय:-

पिता  : दामोदर सावरकर

माता  : राधाबाई सावरकर

भाई व बहन : गणेश, नारायण और मैनाबाई

पत्नी : यमुनाबाई

बच्चों के नाम : प्रभाकर, विश्वास और प्रभात चिपलूनकर

ब्रिटिश भारत के नासिक जिले के भागुर में विनायक सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को हुआ था|

एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में उनका जन्म हुआ था| अपने भाई-बहनों, गणेश, मैनाबाई और नारायण के

साथ उन्होंने अपना बचपन बिताया|

12 साल की उम्र में सावरकर ने हिन्दू-मुस्लिम दंगों के दौरान छात्रों के एक समूह के साथ मुसलमानों

की भीड़ को भगा दिया| कुछ इतिहास वेत्ता मुस्लिम लड़कों द्वारा किये गए उत्पात को इसकी वजह मानते हैं|

इस घटना के पश्चात उन्हें वीर साहसी व्यक्ति का उपनाम दे दिया गया|

वीर सावरकर का क्रांतिकारी जीवन:-

वीर सावरकर युवावस्था में एक पूर्ण क्रांतिकारी बन गए|  वे कट्टरपंथी राजनीतिक नेताओं जैसे- बाल

गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय तथा  बिपिन चंद्र पाल  से प्रेरित थे| अपनी डिग्री पूरी करने के लिए

उन्होंने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में दाखिला लिया| कानून का अध्ययन करने के लिए उन्हें इंग्लैंड में

छात्रवृत्ति की पेशकश की गई|

वीर सावरकर का जीवन परिचय:-

श्यामजी कृष्ण वर्मा ने बाद में उनकी मदद की|  सावरकर ने लंदन में अपने साथी भारतीय छात्रों को

क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने  के लिए प्रेरित किया| इसके बाद इन्होने एक संगठन का गठन किया

तथा इसका नाम फ्री इंडिया सोसाइटी रखा| भारतीयों को इसने अंग्रेजों के खिलाफ़ आजादी की पूरी

लड़ाई लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया|

Veer Saavarkar Biography in Hindi

सन 1857 के विद्रोह की तर्ज पर सावरकर ने आजादी प्राप्त करने के लिए गुरिल्ला युद्ध के बारे में सोचा|

इन्होने द हिस्ट्री ऑफ द वॉर ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस  नामक पुस्तक का विमोचन किया|  अंग्रेजों ने इस

पुस्तक पर प्रतिबंध लगा दिया था|

कई देशों में फिर भी इसने बहुत ज्यादा लोकप्रियता हासिल की| गुरिल्ला युद्ध करने और बम बनाने के

लिए सावरकर ने एक पुस्तक भी छापी थी|  इस पुस्तक को उन्होंने अपने दोस्तों के बीच में वितरित भी

कर दिया था|

कालापानी की सजा:-

सावरकर के भाई गणेश ने इंडियन काउंसिल्स एक्ट 1909 के खिलाफ भारत में विरोध प्रदर्शन किया था|

ब्रिटिश पुलिस ने विरोध के बाद यह दावा किया कि अपराध की साजिश वीर सावरकर ने रची थी| इस

कारण से उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया गया|

वीर सावरकर गिरफ्तारी से बचने के लिए पेरिस भाग गए| उन्होंने वहां भिकाजी कामा के निवास स्थान

पर शरण ली| लेकिन 13 मार्च सन 1910 को ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया|

अदालत ने सावरकर के खिलाफ फैसला सुनाया | उन्हें 50 साल की कैद की सजा सुनाई गई| उन्हें

4 जुलाई सन 1911 को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ले जाया गया| उन्हें कुख्यात काला पानी नामक

सेलुलर जेल में बंद कर दिया गया|

राष्ट्रवाद और हिंदू महासभा:-

जेल में सावरकर ने हिंदुत्व: एक हिंदू कौन है  नामक एक वैचारिक पैम्फलेट लिखा था| इस ने कई हिंदुओं

को प्रभावित किया |

भारत में उन्होंने ईसाइयों और मुसलमानों के अस्तित्व का समर्थन नहीं किया| भारत में उन्होंने उन्हें

मिसफिट कहा था| सावरकर को 6 जनवरी 1924 को जेल से रिहा कर दिया गया|

Veer Saavarkar Ka Jeevan Prichay

वीर सावरकर सन् 1937 में हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने| मुहम्मद अली जिन्ना ने उसी समय कांग्रेस के

हिंदू राज के रूप में शासन की घोषणा की थी|  इसने पहले से ही बढ़ रहे हिंदुओं और मुसलमानों के

बीच तनाव को और खराब कर दिया था|

लोगों ने वीर सावरकर के इन संघर्षों से हिंदू राष्ट्र बनाने के प्रस्ताव पर ध्यान दिया तथा अन्य भारतीय

राष्ट्रवादियों के बीच उनकी लोकप्रियता और अधिक बढ़ गई|

वीर सावरकर का जीवन परिचय:-

कांग्रेस और गांधी विचारधारा का विरोध:-

महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के, वीर सावरकर घोर आलोचक थे| उन्होंने भारत के विभाजन

के लिए कांग्रेस की स्वीकृति पर आपत्ति भी जताई थी| सावरकर ने भारत को दो अलग-अलग राष्ट्रों में

विभाजित करने के बजाय एक ही देश में दो राष्ट्रों के सह-अस्तित्व का प्रस्ताव रखा था| खिलाफत

आंदोलन के दौरान उन्होंने मुसलमानों के साथ तुष्टीकरण नीति की महात्मा गांधी की कड़ी आलोचना की थी|

वीर सावरकर की किताबे:-

काले पानी नामक उनकी पुस्तक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं

के संघर्ष को बयां करती है| इनकी सबसे महत्वपूर्ण साहित्यिक कृतियों में अर्क, कमला, मजी जनमथेप

और द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस सम्मिलित हैं|

वीर सावरकर का जीवन परिचय:-

वीर सावरकर की मृत्यु:-

विनायक वीर सावरकर ने अपनी मृत्यु से ठीक पहले “आत्महत्या नहीं आत्मानर्पण” नामक एक  विशेष लेख लिखा था|

उनका यह लेख  मृत्यु तक उपवास पर एक अंतर्दृष्टि थी| सावरकर ने 1 फरवरी सन 1966 को यह घोषणा कर दी

थी कि वे भोजन नहीं करेंगे और मृत्यु तक उपवास रखेंगे|

उन्होंने अपने बॉम्बे निवास पर 26 फरवरी सन 1966 को अंतिम स्वास ली| आज भी विनायक सावरकर

का घर तथा अन्य सामान सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए संरक्षित हैं|

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