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विसर्ग संधि की परिभाषा व नियम

विसर्ग संधि की परिभाषा व नियम
Written by Rakesh Kumar

विसर्ग संधि की परिभाषा व नियम

 

विसर्ग संधि की परिभाषा व नियम:-  आज HINDIGKPDF आपसे विसर्ग संधि की परिभाषा, नियम व उदाहरण के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। इससे पिछली पोस्ट में आप “व्यंजन संधि की परिभाषा व नियम” के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।

परिभाषा नियम व उदाहरण:-

विसर्ग का स्वर या व्यंजन के साथ मेल होने से जो परिवर्तन होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

जैसे:-

मन: + स्थिति = मनोस्थिति

मन: + कामना = मनोकामना

पर: + उपकार = परोपकार

दु: + व्यवहार = दुर्व्यवहार

अंत: + राष्ट्रीय = अंतरराष्ट्रीय

विसर्ग संधि के नियम:-

नियम 1. विसर्ग से पहले और बाद में दोनों स्थान पर ‘अ‘ होने पर विसर्ग ‘ओ‘ में बदल जाते हैं।

जैसे:-

मन: + अनुकूल =मनोऽनुकूल

यश: + अभिलाषा =यशोऽभिलाषा

नियम 2. यदि विसर्ग से पहले ‘अ‘ तथा बाद में किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पांचवा वर्ण तथा य, र, ल, व, ह में से कोई वर्ण हो तो, विसर्ग को ‘ओ‘ में बदल दिया जाता है।

जैसे:-

मन: + रथ =मनोरथ

पय: + द  = पयोध

मन: + रंजन =मनोरंजन

मन: + ज = मनोज

पय: + धर =पयोधर

मन: + हर =मनोहर

मन: + रथ =मनोरथ

वय: + वृद्ध=वयोवृद्ध

मन: + योग=मनोयोग

नियम 3. विसर्ग से पहले अ, आ के अतिरिक्त यदि कोई स्वर या किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पांचवां वर्ण तथा य, र, ल, व, ह में से कोई भी वर्ण हो तो विसर्ग को ‘र्‘ हो जाता है।

जैसे:-

नि: + आश्रित =निराश्रित

नि: + आकार =निराकार

पुन: + जन्म =पुनर्जन्म

नि: + झर =निर्झर

नि: + जन =निर्जन

दु: + उपयोग =दुरुपयोग

दु: + आशा =दुराशा

पुन: + निर्माण =पुनर्निर्माण

 

विसर्ग संधि के  नियम व उदाहरण

 

नियम 4. विसर्ग के बाद च, छ हो तो विसर्ग को ‘श‘, में ट, ठ हो तो ‘ष‘ में तथा त, थ हो तो ‘स्‘ में परिवर्तित हो जाता है।

जैसे:-

धनु: + टंकार =धनुष्टंकार

दु :+ चरित्र =दुश्चरित्र

मन: + ताप =मनस्ताप

इत: + तत:=इतस्तत:

नि: + चय =निश्चय

नमः + ते =नमस्ते

हरि: + चंद्र =हरिश्चंद्र

दु: + तर =दुस्तर

नि: + छल =निश्चल

नियम 5. यदि नि: तथा दु: के बाद क, ख या प, फ हो तो इनके विसर्ग को ‘ष्‘ में बदल दिया जाता है।

जैसे:-

दु: + प्रभाव =दुष्प्रभाव

नि: + कलंक =निष्कलंक

नि: + पाप =निष्पाप

दु: + कर =दुष्कर

नि: + कपट =निष्कपट

दु: + काल =दुष्काल

दु: + प्राप्य =दुष्प्राप्य

नियम 6. यदि विसर्ग के बाद श, स हो तो विसर्ग को क्रमश: ‘श्‘ ,’स्‘ में परवर्तित कर दिया जाता है।

जैसे:-

दु: + साहस=दुस्साहस

नि: + सार =निस्सार

दु: + शासन =दुश्शासन

दु: + शील =दुश्शील

नि: + संदेह =निस्संदेह

नियम 7. इस नियम के अनुसार विसर्ग से पहले ‘अ‘तथा बाद में या के अतिरिक्त कोई स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है तथा उन अक्षरों में फिर संधि नहीं होती।

जैसे:-

अत: + एव= अतएव

तत: + एव= तथैव

 

निषकर्ष

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि विसर्ग अर्थात (:) का स्वर या व्यंजन के साथ मेल होने से जो परिवर्तन होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं। इसके मुख्य रूप से 7 नियम हो सकते हैं| संधि का विषय थोड़ा सा जटिल अवश्य है लेकिन इसकी जानकारी अवश्य होनी चाहिये| इस पोस्ट को हमे अपने दुसरे साथियों के साथ भी अवश्य शेयर करना चाहिए ताकि वे भी इस का लाभ उठा सके| संधि का विषय हिंदी तथा संस्कृत दोनों भाषाओँ में सम्मिलित किया जाता है|

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