हिंदी व्याकरण

विशेषण का क्या अर्थ है

विशेषण का क्या अर्थ है
Written by Rakesh Kumar

विशेषण का क्या अर्थ है

 

विशेषण का क्या अर्थ है :- आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको विशेषण का क्या अर्थ है

और इसकी क्या परिभाषा है, उदहारण सहित विस्तार से समझायेंगे |पिछली पोस्ट में हम ने आप

से ‘ व्याकरण के बारे‘ में विस्तार से चर्चा की थी | जैसा कि आप जानते हैं कि

किसी भी नाम का बोध कराने वाले शब्द को संज्ञा कहतें हैं तथा जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त

होतें हैं उन्हें सर्वनाम कहतें हैं|  संज्ञा शब्द  अथवा सर्वनाम शब्द  दोनों की  विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं |

जैसे-लाल मिर्च उपर्युक्त वाक्यांश में लाल शब्द मिर्च की रंग संबंधी विशेषता बता रहा है कि मिर्च

का रंग लाल है | अतः यहां लाल  विशेषण है | काला चश्मा | काला रंग चश्मे कि विशेषता बताता है कि चश्मे

का रंग काला है | अत: यह भी विशेषण है| अत: जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम कि विशेषता प्रकट  करें,

उसे विशेषण कहतें हैं| विशेषण का काम संज्ञा तथा सर्वनाम शब्द  दोनों की विशेषता का बोध कराना है|

 

विशेषण की परिभाषा

 

विशेषण की  परिभाषा : -संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहतें हैं|

जिन  शब्दों से  संज्ञा या सर्वनाम शब्दों  की अच्छी या बुरी विशेषता का बोध हो , वे विशेषण कहलाते हैं |

विशेषण का काम संज्ञा तथा सर्वनाम दोनों की विशेषता का बोध कराना है|  इसको और अच्छे तरीके से

समझने के लिए हम कुछ उदाहरण देखतें हैं |

जैसे-

1. आम  का फल मीठा  है|

2. मोहन अंग्रेजी में तेज है|

3. कुछ लड़कियां हिंदी नहीं जानती|

4. किशोर कुमार बहुत अच्छा   गाता है|

5. तुम्हारा भाई कल रोहतक गया था|

उपर के वाक्यों में मीठा, तेज, कुछ, अच्छा, तुम्हारा   शब्द आयें हुए हैं| ये शब्द उपरोक्त वाक्यों में किसी ना किसी

शब्द  की विशेषता को प्रकट कर रहें हैं| अत: ये सभी विशेषण हैं|

अत: इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता अर्थात उसके गुण, दोष,

मात्रा, परिमाण, संख्या आदि के बारे में बतातें हैं तो वे विशेषण कहलातें हैं|

विशेषण के भेद

 

हिंदी भाषा में विशेषण के भेद :-

विशेषण के निम्नलिखित  भेद  है-

(1) गुणवाचक विशेषण

(2) परिमाणवाचक विशेषण

(3) संख्यावाचक विशेषण

(4)सार्वनामिक विशेषण

 

(1) गुणवाचक विशेषण:– वह विशेषण जो विशेष्य के गुण, रूप -रंग, आकार, शील- स्वभाव आदि की

विशेषता का बोध कराता है, गुणवाचक विशेषण कहलाता है | साधारण शब्दों में  जो किसी संज्ञा या

सर्वनाम के गुणों का बोध कराता हो उसे गुणवाचक विशेषण कहतें हैं   जैसे- अच्छा लड़का, सुंदर दृश्य,

नूतन सवेरा | सुंदर शब्द लड़के की विशेषता बताता है कि लड़का अच्छा है | सुंदर दृश्य,दृ श्य की सुन्दरता बताता है

कि दृश्य सुंदर हैं |

(2) परिमाणवाचक विशेषण :-जो विशेषण किसी की  परिमाण या मात्रा आदि की  विशेषता का बोध

कराता है, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं | इन शब्दों से किसी वस्तु का माप, तौल आदि की विशेषता

का बोध होता है|   जैसे 8  लीटर दूध , 15 मीटर कपड़ा , कुछ शक्कर |  लीटर  ढूध की , मीटर कपड़े की ,

तथा कुछ, शक्कर  की  परिमाण सम्बन्धी  विशेषता बताता हैं |अत: यह परिमाणवाचक विशेषण है|

संख्यावाचक विशेषण

 

(3) संख्यावाचक विशेषण :-जो विशेषण किसी के सम्बन्ध में  संख्या संबंधी विशेषता का बोध कराता है,

उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं| ये शब्द किसी संज्ञा कि संख्या या गिनती का बोध करातें हैं|   जैसे 6

सेब,  15 केले | 15  शब्द केले की संख्या सम्बन्धी  विशेषता बताता है कि केले संख्या में 15 है | 6  शब्द सेब

की संख्या सम्बन्धी   विशेषता बताता है की  सेब गिनती में 6  है |

संख्यावाचक विशेषण  दो  प्रकार के होतें हैं:-

1. निश्चित संख्यावाचक

2.अनिश्चित संख्यावाचक

1. निश्चित संख्यावाचक :- जो शब्द किसी निश्चित संख्या के बारे में बोध कराता हो   वह  निश्चित

संख्यावाचक  विशेषण कहलाता है|

जैसे-

दो बैल, तीन पेंसिलें, पांच दर्जन केले आदि|

2.अनिश्चित संख्यावाचक :- जिन शब्दों से संज्ञा के किसी  निश्चित संख्या को बोध ना होकर अनिश्चितता

का बोध होता है उसे अनिश्चित संख्यावाचक  विशेषण  कहतें हैं|

जैसे –

कुछ पैसे, थोड़ा सा ढूध, सारे खिलौने आदि|

(4)सार्वनामिक विशेषण:- जो शब्द सर्वनाम से पहले आकर उसकी विशेषता प्रकट करे उसे

सार्वनामिक विशेषण  कहते हैं | दुसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि  वे सर्वनाम जो विशेषण के रूप

में भी प्रयोग किये जाते हैं सार्वनामिक विशेषण  के नाम से जाने जाते हैं| ये सर्वनाम संज्ञा के साथ उसके

संकेत या निर्देश के रूप में आते हैं  और वह विशेषण बन जाता है|   जैसे -यह घोड़ा , वह पुस्तक | इसे

सार्वनामिक विशेषण, निर्देशवाचक  विशेषण, संकेतवाचक विशेषण,सांकेतिक विशेषण भी कहा जाता है|

विभिन्न शब्दों से विशेषण बनाने के कुछ उदहारण :-

आकर्षण   आकर्षक

ईश्वर     ईश्वरीय

कल्पना   काल्पनिक

कांटा     कंटीला

क्रोध     क्रोधी

खेल     खिलाड़ी

जोश    जोशीला

झगड़ा   झगड़ालू

निष्कर्ष

 

संक्षेप में हम कह सकतें हैं कि जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम कि विशेषता प्रकट  करें, उसे विशेषण कहतें हैं|

विशेषण का काम संज्ञा तथा सर्वनाम दोनों की विशेषता का बोध कराना है| अत:  जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम

की विशेषता अर्थात उसके गुण, मात्रा, परिमाण, संख्या आदि के बारे में बतातें हैं तो वे विशेषण कहलातें हैं|

विशेषण मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं |   1- गुणवाचक विशेषण  2- परिमाणवाचक विशेषण  3- संख्यावाचक विशेषण

तथा  4- सार्वनामिक विशेषण|

 

 

 

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