विराम चिह्न की परिभाषा तथा भेद
विराम चिह्न की परिभाषा तथा भेद:- आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपसे विराम चिह्न की परिभाषा तथा भेद के बारे में चर्चा करेंगे।
इससे पहले की पोस्ट के माध्यम से हम आपको “छंद की परिभाषा व प्रकार “ के बारे में विस्तार से बता चुके हैं।
विराम चिह्न का अर्थ:-
हिंदी भाषा शास्त्र के अनुसार विराम का अर्थ है रुकना या ठहरना। किसी भी वाक्य को बोलते या लिखते समय या अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए हमें बीच-बीच में थोड़ा विराम लेना पड़ता है। जहां-जहाँ पर भी हम वाक्य बोलते समय बीच-बीच में रुकते हैं वहां पर विराम चिह्नों का प्रयोग करते हैं।
विराम चिह्न की परिभाषा:-
किसी भी भाषा में वाक्य लिखते या बोलते समय विराम या ठहराव को प्रकट करने के लिए जिन चिह्नो का प्रयोग किया जाता हैं, उन्हें ही विराम चिह्न कहते हैं।
जैसे:-
रमेश सुलेख लिख रहा है।
सुनीता गाना गा रही है।
दिल्ली शहर से आज कौन आने वाला है?
अरे भाई साहेब! सोनम भी आ गई है !
हिंदी भाषा में विराम चिह्न का प्रयोग:-
हिंदी भाषा में वाक्य की रचना करते समय यदि विराम चिह्न का प्रयोग न किया जाए तो वाक्य का कोई अर्थ नहीं रह जाता है या फिर उसके में परिवर्तन हो जाता है।
जैसे निम्न वाक्य को देखते हैं-
1.- खड़कसिंह को रोको, मत जाने दो।
उपर के वाक्य में खड़कसिंह को न जाने देने की बात कही गई है।
2.- खड़कसिंह को रोको मत, जाने दो।
इस वाक्य में खड़कसिंह को जाने देने की बात हो रही है।
उपर के वाक्यों का अध्ययन करने से पता चलता है कि एकमात्र विराम चिह्न ( , ) ने दोनों वाक्यों का अर्थ बदल दिया है। अत: भाषा में विराम चिन्ह का प्रयोग अनिवार्य है।
विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार
विराम चिन्ह के प्रकार:-
1.- अल्पविराम (, )
2.- अर्ध विराम (; )
3.- पूर्ण विराम (।)
4.- प्रश्नवाचक चिह्न (?)
5.- योजक चिह्न (-)
6.- उद्धरण चिह्न (” “)
7.- विस्मयादिबोधक चिह्न (!)
8.- उप विराम (:)
9.- लाघव चिह्न (०)
10.- विवरण चिह्न (:-)
11.- कोष्ठक चिह्न ( )
12.- रेखांकन चिह्न (_)
1.- अल्पविराम:- हिंदी भाषा में वाक्य लिखते समय जहां थोड़ी देर रुकना पड़े वहां अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
हमने हिमाचल प्रदेश में ऊँचे पहाड़, खेत, नदी, झरने, इमारतें आदि चीजें देखी हैं।
मुकेश, बबिता, बबीता, अनीता, जानवी और राधारानी ट्रेड फेयर देखने दिल्ली गईं।
विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार:-
2.- अर्ध विराम:- जब वाक्य को लिखते समय अल्पविराम की तुलना में जहां अधिक देर तक रुकना पड़े, वहां पर अर्धविराम का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
सायंकाल का समय हो गया; दिनेश का स्थान सोनू ने ले लिया ।
सायंकाल का समय हो गया; पक्षी अपने घोसलों में जाने लगे और कमल मुरझाने लगे।
3.- पूर्ण विराम:– कोई वाक्य जब पूर्ण या समाप्त हो जाता है, तब पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
अमिता ने घर का काम पूरा कर लिया है।
धेनु स्कूल से आ गया है।
राममेहर ने चित्र पूरा कर लिया है।
बाइबल एक पवित्र पुस्तक है।
4.- प्रश्नवाचक चिह्न:- इसमें वाक्य के अंत में प्रश्नवाचक (?) का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
जगतराम आज क्यों नहीं आये?
मेरी गेंद किसने चुराई?
कौन है जो सपनों में आया?
विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार
5.- योजक चिह्न:- इन चिह्नों का प्रयोग समस्त पदों के मध्य या बीच में किया जाता है।
जैसे:-
आन-बान
दिन-रात
चलना-फिरना
लाभ-हानि
सुख-दु:ख
मान-मर्यादा।
करनी-भरनी
6.- उद्धरण चिह्न:- किसी भी व्यक्ति के द्वारा कहीं गई बात को प्रकट उसी के शब्दों में प्रकट करने के लिए उद्धरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
श्री कृष्न जी ने गीता में कहा है, “हमेशा कर्म की ही जीत होती है।”
महातमा गाँधी जी ने कहा है, “सत्य बोलना सबसे बड़ा धर्म है।”
7.- विस्मयादिबोधक चिह्न:- हिंदी भाषा में आश्चर्य, शोक, हर्ष, विषाद, भय, घृणा आदि भावों को प्रकट करने के लिए वाक्य में विस्मयादिबोधक चिह्नों का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
वाह ! क्या ताज है?
आह! खाने में मजा आ गया।
छि छि ! कितना गंद मचा रखा है।
8.- उप विराम:- किसी भी वाक्य में जब किसी कथन को अलग से दिखाना हो, तो वहां उप विराम का प्रयोग किया जाता सकता है।
जैसे:-
एटम का अविष्कार: वरदान या अभिशाप
दहेज प्रथा: एक अभिशाप
9.- लाघव चिह्न:- किसी वाक्य में किसी बड़े शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए उस अक्षर का पहला अक्षर लिख कर उसके आगे सुन्य लगा दिया जाता हैं, इसको ही लाघव चिह्न कहा जाता है।
जैसे-
पंडित के लिए- पं०
डॉक्टर के लिए- डॉ०
विराम चिह्न की परिभाषा व प्रकार
10.- विवरण चिह्न:- किसी वाक्य के बारे में कुछ सूचना आदि देने के लिए विवरण चिह्न का प्रयोग वाक्य किया जाता है| इस विवरण चिह्न को (:-) के माध्यम से दर्शाया जाता है|
जैसे:-
छंद के निम्न भेद होते हैं:-
जामुन के निम्नलिखित लाभ हैं:-
11.- कोष्ठक चिह्न:- किसी वाक्य में कोष्ठक चिह्न का प्रयोग किसी बात के अर्थ को और अधिक स्पष्ट तथा प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है।
जैसे :-
पार्थ (अर्जुन) सत्य और धर्म के रक्षक थे।
मेघनाथ (क्रोध में कांपते हुए) ठहर जा।
12.- रेखांकन चिह्न:- किसी वाक्य में किन्ही विशेष या महत्वपूर्ण शब्दों, पदों आदि को रेखांकित करने के लिए रेखांकन चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
श्री कृष्ण भगवान जी ने अर्जुन को वट वृक्ष के नीचे गीता का ज्ञान दिया था।