वर्ण की परिभाषा व भेद
वर्ण की परिभाषा व भेद:- इस पोस्ट के माध्यम से हम, वर्ण किसे कहते हैं, वर्ण की क्या परिभाषा है, हिंदी व्याकरण में वर्ण का क्या महत्तव है तथा वर्ण के कितने भेद हैं, के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगें| आपको यह बहुत अच्छी तरह से पता है कि भाषा की सबसे छोटी इकाई को वर्ण कहतें है। अलग-अलग भाषा में वर्णों की संख्या भी अलग-अलग होती है। उदाहरण के तौर पर हिंदी भाषा में कुल 52 वर्ण हैं।
आज hindigkpdf आपसे वर्ण के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे| इससे पहली पोस्ट मे हमने आपको ‘स्वर की परिभाषा व भेद’ के बारे में विस्तार से बताया था|
वर्ण की परिभाषा
“भाषा की वह छोटी से छोटी इकाई या ध्वनि जिसके और टुकड़े ना किये जा सके वर्ण कहलाती है।”
किसी भी भाषा को सीखने के लिए वर्णों का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। बिना वर्णों के ज्ञान के हम भाषा का ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
हिंदी भाषा में कुल मिलकर 52 वर्ण होतें हैं। इन 52 वर्णों के व्यवस्थित समूह को ही ‘वर्णमाला’ कहते हैं।
वर्णों के इस समूह को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है|
स्वर और व्यंजन
स्वर:-
अ आ इ ई उ ऊ ऋ
ए ऐ ओ औ अं अ:
व्यंजन:-
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व
श ष स ह
क्ष त्र ज्ञ श्र
अब स्वरों तथा व्यंजनों की उदाहरण सहित व्याख्या करतें हैं|
1.- स्वर
2.- व्यंजन
1.- स्वर – वे वर्ण जिन का उच्चारण बिना किसी अन्य ध्वनि की सहायता के स्वतंत्र रूप से किया जाता हो , उन्हें स्वर कहते हैं।
हिंदी भाषा में स्वरों की संख्या 11 है जो इस प्रकार से है। जैसे:- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
स्वर के तीन भेद होते हैं
(1).- ह्रस्व स्वर
(2).- दीर्घ स्वर
(3).- प्लुत स्वर
(1).- ह्रस्व स्वर- जिन स्वरों का उच्चारण करने में अर्थात बोलने में कम से कम समय लगता हो उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं।
जैसे -अ, इ, उ, ऋ ह्रस्व स्वर के उदहारण हैं।
(2).- दीर्घ स्वर- जिन स्वरों का उच्चारण करने में अर्थात बोलने में ह्रस्व स्वर से दुगुना समय लगता हो उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं।
जैसे -आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ दीर्घ स्वर के उदहारण हैं ।
(3).- प्लुत स्वर- जिन स्वरों का उच्चारण करने में दीर्घ स्वर से दुगुना तथा ह्रस्व स्वर से तिगुना समय लगता हो उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं । प्लुत स्वर को (ऽ) चिन्ह के द्वारा दर्शाया जाता है। जैसे- ओऽम्।
नोट- अं और अ: को अयोगवाह कहा जाता है।
अं का उच्चारण अनुस्वार के रूप में किया जाता है तथा इसका चिन्ह (ं) है| अ: का उच्चारण ‘ह‘ ध्वनि के समान होता है तथा इसका चिन्ह विसर्ग (:) होता है।
विसर्ग (:) का प्रयोग प्रायः संस्कृत भाषा में किया जाता है।
व्यंजन
2.- व्यंजन– जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है| जो वर्ण स्वरों की सहायता से बोले जाते हैं, वे व्यंजन कहलाते हैं। व्यंजनों का उच्चारण करते समय मुख से स्वास वायु अलग-अलग स्थानों को स्पर्श करती हुई निकलती है।
हिंदी भाषा में कुल 33 व्यंजन है|
जैसे: –
व्यंजन वर्ण :-
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व
श ष स ह
क्ष त्र ज्ञ श्र
व्यंजन के भेद
व्यंजन के तीन भेद हैं-
(1).-स्पर्श व्यंजन
(2).- अंत:स्थ व्यंजन
(3).- ऊष्म व्यंजन
(1).- स्पर्श व्यंजन – जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय अर्थात बोलते समय श्वास वायु मुख के अलग-अलग भागों को स्पर्श करती हुई बाहर निकलती है, तो उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। हिंदी वर्णमाला में कुल 25 स्पर्श व्यंजन है।
क से लेकर म तक के कुल 25 व्यंजनो को स्पर्श व्यंजन कहते हैं।
(2).- अंत:स्थ व्यंजन – जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय अर्थात बोलते समय श्वास वायु मुख व जिह्वा को बिना स्पर्श किये बाहर निकलती है, तो उन्हें अंतस्थ व्यंजन कहते हैं।
जैसे –य, र, ल, व अंत:स्थ व्यंजन के उदहारण हैं।
(3).- ऊष्म व्यंजन – जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय अर्थात बोलते समय श्वास वायु मुख के विभिन्न भागों से रगड़ खाती हुई ऊष्मा के साथ बाहर आती है, तो उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं।
जैसे -श, ष, स, ह ऊष्म व्यंजन के उदहारण हैं।
इनके अतिरिक्त हिंदी वर्णमाला में चार संयुक्त व्यंजन (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र) भी होते हैं।
क्ष = क् + ष् +अ
त्र = त् + र् + अ
ज्ञ = ज् + ञ् +अ
श्र = श् + र् +अ
निष्कर्ष
भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण है। अलग-अलग भाषा में वर्णों की संख्या भी अलग-अलग होती है। हिंदी भाषा में कुल 52 वर्ण हैं। भाषा की वह छोटी से छोटी ध्वनि जिसके और टुकड़े नही किये जा सकते वर्ण कहलाती है| इन 52 वर्णों के व्यवस्थित समूह को ही ‘वर्णमाला’ कहते हैं। वर्णों के इस समूह को दो भागों में में विभाजित किया जा सकता है| स्वर तथा व्यंजन|