हिंदी व्याकरण

लोकोक्तियां परिभाषा तथा उदाहरण

लोकोक्तियां परिभाषा तथा उदाहरण
Written by Rakesh Kumar

लोकोक्तियां परिभाषा तथा उदाहरण

 

लोकोक्तियां परिभाषा तथा उदाहरण:- आज HINDIGKPDF आपसे इस पोस्ट के माध्यम से लोकोक्तियों की

परिभाषा व उदाहरण के बारे में चर्चा करेंगे। लोकोक्तियां किसे कहते हैं, इसकी क्या परिभाषा है तथा इसके

उदाहरण के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे|

इससे पहले की पोस्ट में आप  “मुहावरे की परिभाषा तथा उदाहरण” के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।

लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण:-

हम यह अच्छी तरह से जानते हैं कि ‘लोकोक्ति’ शब्द ‘लोक + उक्ति‘ शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ

है- लोक यासमाज में प्रचलित उक्ति या कथन‘ |

इस प्रकार से लोकोक्ति शब्द की परिभाषा यह हुई-

“किसी विशेष स्थान पर प्रसिद्ध हो जाने वाले कथन को लोकोक्ति कहते हैं।”

जैसे :-

बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद

ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी

नाच न जाने आँगन टेढ़ा |

थोथा चना बाजे घना आदि |

अंधों में काना राजा – मूर्खों में थोड़ा सा पढ़ा-लिखा या बुद्धिमान व्यक्ति – रामू के परिवार में सिर्फ रामू ही

आठवीं पास है। इसे कहते हैं अंधों में काना राजा।

अंधे के हाथ बटेर लगना –  अयोग्य व्यक्ति को अच्छी वस्तु मिल जाना – जगतू ने सोनी की अपेक्षा कम मेहनत

की और कक्षामें प्रथम स्थान पर रही। इसे देखकर पड़ोसी कहने लगे कि अंधे के हाथ बटेर लग गया है।

थोथा चना बाजे घना – कम गुणवान व्यक्ति अधिक डींग मारता है – सोनू तो हमेशा बड़ी-बड़ी बातें करता रहता

है लेकिनकरता – धरता कुछ नहीं। इसे कहते हैं तथा चना बाजे घना।

चोर की दाढ़ी में तिनका – अपराधी का शंकित रहना – जब मैंने गोलू को अपराध करते समय देखा तो उसके

चेहरे की हवाइयां उड़ गई तो मैं तभी समझ गया कि चोर की दाढ़ी में तिनका है।

 

लोकोक्तियों की परिभाषा और उदाहरण

खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे – दुर्बलता में शक्ति प्रदर्शन – अनीता खुद तो कुछ काम करती नहीं और गुस्सा बच्चों

पर उतारती है। इसे कहते हैं खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे।

दूर के ढोल सुहावने – दूर से बुरी वस्तुएं भी अच्छी लगती है – आप केदार को नजदीक से नहीं जानते, इसीलिए

तुम्हें वह अच्छा लगता है| लेकिन मैं उसे अच्छी प्रकार से जानता हूं, दूर के ढोल सुहावने लगते हैं।

ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी – झगड़े के कारण को जड़ से ही समाप्त कर देना – जिस कार को लेकर दोनों

भाइयों में झगड़ाहोता था दादाजी ने आज वह साइकिल बेच दी। सही कहा गया है ना रहेगा बांस ना

बजेगी बांसुरी।

गोद में छोरा देश में ढिंढोरा – पास की वस्तु को भी ना देखना पाना – मैंने काफी देर तक अपना बैग ढूंढा लेकिन

कहीं नहीं मिला और आखिर में यह मेरी सीट के नीचे मिला। इसे कहते हैं गोद में छोरा देश में ढिंढोरा।

बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद – मूर्ख व्यक्ति उत्तम वस्तु का महत्व नहीं समझता – नालायक बच्चे मेहनत के

महत्व को नहीं समझते हैं। इसे कहते हैं बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।

मन चंगा तो कठौती में गंगा – अच्छे विचार वालों के लिए हर जगह तीर्थ है – अगर घर में सुख शांति है और मन

शांत है तो इसे कहते हैं मन चंगा तो कठौती में गंगा।

मान ना मान मैं तेरा मेहमान – ना चाहने के बाद भी गले पड़ जाना – जब दिल्ली वाले आपको अपना रिश्तेदार

मानते ही नहीं फिर भी तुम उनके गले पड़े हो यह तो वही बात हुई मान न मान मैं तेरा मेहमान।

 

लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण

रस्सी जल गई पर बल नहीं गया –  शक्ति समाप्त होने पर भी व्यर्थ का घमंड – गोलू अपराध करते समय रंगे

हाथों पकड़ा गया लेकिन अभी तक भी वह अपने आप को अपराधी नहीं मानता है इसे कहते हैं रस्सी

जल गई पर बल नहीं गया।

लातों के भूत बातों से नहीं मानते – दुर्जन प्रेम की भाषा को नहीं समझते – दुष्ट बच्चों को कितना भी समझाओ

लेकिन वे तो लातों के भूत होते हैं, वे बातों से नहीं मानते।

खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है – संगति का प्रभाव अवश्य पड़ता है – जब से श्याम, रैना  की संगति

में पड़ा है, तब से उसका स्वभाव बदल गया है। इसे कहते हैं खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है।

आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास – मूल कार्य को छोड़कर किसी अन्य कार्य में लग जाना – कुछ बच्चे

पढ़ने के लिए स्कूल जाते हैं, लेकिन वहां जाकर पढ़ने की बजाय खेलने लग जाते हैं। इसे कहते हैं आए थे हरि भजन को

ओटन लगे कपास।

ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया – भगवान की विचित्र लीला है, कहीं पर दुख है और कहीं पर सुख – कहीं

कोई कुटिया में जीवन यापन करता है तो कोई महलों में। इसे कहते हैं ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया।

आम के आम गुठलियों के दाम – दोहरा लाभ होना – रमेश ने 100 रूपये  के अखबार खरीद कर पढ़ें और

50 रूपये की रद्दी बेच दी। इसे कहते हैं आम के आम गुठलियों के दाम।

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे – अपना अपराध औरों के ऊपर मढना – चोरी करने के बाद भी घिसा राम चौड़ा

होकर घूमता है और दूसरों को चोर कहता है। इसे कहते हैं उल्टा चोर कोतवाल को डांटे।

लोकोक्तियों की परिभाषा व उदाहरण

कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा – असंगत गठबंधन – वर्तमान समय में गठबंधन की

सरकारें कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा की कहावत को सार्थक करती हैं।

कानी के ब्याह में सौ जोखिम – कठिन कार्य में अनेक बाधाएं आना – बहुत तैयारी के साथ घर से शहर के लिए

निकले थे, लेकिन रास्ते में गाड़ी पंक्चर हो गई इसे कहते हैं कानी के ब्याह में सौ जोखिम।

अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता – एक व्यक्ति द्वारा कुछ नहीं किया जा सकता – वे आठ लोग थे और संदीप

अकेला। वह उनसे कैसे लड़ सकता था। इसे कहते हैं, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।

अकल बड़ी या भैंस – शारीरिक बल से बुद्धि श्रेष्ठ है – शारीरिक रूप से कमजोर होते हुए भी रोशन ने अपने बुद्धि

के बल से बड़े-बड़े धुरंधरों को हरा दिया। इसे कहते हैं अकल बड़ी या भैंस।

अंत भला सो भला – कार्य का अंतिम चरण ही महत्वपूर्ण होता है – यदि जीवन के अंतिम दिनों में भी परमात्मा का

नाम ले लिया जाए तो, इसे कहेंगे अंत भला सो भला।

अधजल गगरी छलकत जाए – ओछा व्यक्ति अधिक उछता है – प्रेम के पास देने के लिए कुछ नहीं है और बातें

बड़ी-बड़ी करता है। यह तो ठीक वैसे ही है, अधजल गगरी छलकत जाए।

लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण:-

अपनी अपनी डफली अपना अपना राग – एकमत न होना – राजेश कुमार के परिवार वाले आजकल अपनी – अपनी डफली

अपना  – अपना राग अलाप रहे हैं।

जिसकी लाठी उसकी भैंस – शक्तिशाली व्यक्ति की ही जीत होती है – आजकल बड़ा ही कठिन समय आ गया है कि

कोई भी कमजोर व्यक्ति की बात नहीं सुनता| चारों तरफ यही कहावत लागू होती है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस।

 

लोकोक्तियों की परिभाषा तथा उदाहरण

डूबते को तिनके का सहारा – घोर संकट के समय थोड़ी सी की गई सहायता भी बहुत अधिक मालूम होती है – संकट

की स्थिति में किसी विपत्तिग्रस्त व्यक्ति की सहायता करना, डूबते को तिनके का सहारा देने से कम नहीं होती।

खोदा पहाड़ निकली चुहिया – बहुत अधिक परिश्रम करने पर परिणाम बहुत कम आना – सारी रात खजाने की खोज

में गड्ढा खोदते रहे, लेकिन मिले सिर्फ चांदी के तीन सिक्के। इसे कहते हैं खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

जो गरजते हैं वह बरसते नहीं – बड़ी-बड़ी बातें करने वाले समय पर धोखा दे देते हैं – देख लो तुम

घनश्याम दास जी को कैसीबड़ी-बड़ी बातें करता था और अब धोखा दे गया। सही ही कहा गया है

कि जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं।

काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती – किसी व्यक्ति को बार-बार मूर्ख नहीं बनाया जा सकता – नरेश मुझे

कई बार धोखा दे चुका है, लेकिन अब वह मुझे अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से नहीं बहका सकता,

क्योंकि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है|

लोकोक्तियां परिभाषा व उदाहरण:-

एक चुप सौ को हराए – मौन रहना अति उत्तम है- यदि आप चुप रहेंगे तो विरोधी सारे अपने आप शांत हो

जाएंगे, क्योंकि किसी ने ठीक ही कहा है – एक चुप सौ को हराए।

ऊंट के मुंह में जीरा – बहुत अधिक खाने वाले को बहुत कम देना – भीम को दो रोटी खाने को देना तो ऊंट के

मुंह में जीरा देने के समान है।

एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है – एक के बुरा होने पर सभी को लांछन लग जाता है – कक्षा में एक

बच्चा शरारत कर रहा था, उसे देख कर दूसरे भी शरारत करने लगे। सत्य ही कहा है – एक मछली

सारे तालाब को गंदा कर देती है।

 

लोकोक्तियां परिभाषा और उदाहरण

बिल्ली के भाग से छींका टूटा – संयोगवश सफलता मिल जाना – अपना नालायक सुरेन्द्र 10वीं में पास हो गया है।

भाई यह तो वही बात हुई – बिल्ली के भाग से छींका टूट गया।

हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फारसी क्या – प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती – सारे आभूषण

आपके सामने ही तो हैं, तुम खुद देख लो। हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या।

मुंह में राम बगल में छुरी – कपटपूर्ण आचरण करने वाला व्यक्ति – हमारी पड़ोसन लालिमा तो मुंह में राम बगल में

छुरी वाली औरत है। ऊपर से वह बहुत मीठी, लेकिन अंदर से कुटिल है।

अंधे के आगे रोना अपने नैन खोना – दयाहीन के आगे दुखड़ा सुनाना – जितेन्द्र को अपनी परेशानी बताना तो अंधे

के आगे रोना और अपने नैन खोना है।

जिस हांडी में खाना उसी में छेद करना – विश्वासघात करना – विनोद, सीमा के यहां काम करता था, मित्र बनकर

रहता था और आज उसी के पैसे लेकर फुर हो गया। इसे कहते हैं – जिस हांडी में खाना उसी में छेद करना।

होनहार बिरवान के होत चिकने पात – महान व्यक्ति की पहचान बचपन से ही होने लग जाती है – अपनी अनारकली

को ही देख लो, यह तो अभी से ही बुद्धिमानी के काम कर रही है| इसे कहते हैं- होनहार बिरवान के

होत चिकने पात।

जैसा राजा वैसी प्रजा – बड़ों का प्रभाव छोटों पर भी पड़ता है – आजकल जब सारे नेतालोग ही भ्रष्ट हैं, तो जनता

ईमानदार कैसे हो सकती है। ठीक ही कहा गया है – जैसा राजा वैसी प्रजा|

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