हिंदी व्याकरण

लिंग की परिभाषा भेद व उदाहरण

लिंग की परिभाषा भेद व उदाहरण
Written by Rakesh Kumar

लिंग की परिभाषा भेद व उदाहरण

 

लिंग की परिभाषा भेद व उदाहरण:-आज इस पोस्ट के माध्यम से हम  आपसे लिंग की परिभाषा भेद व उदाहरण तथा उसके प्रकार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे । इससे पिछली पोस्ट में हमने आपसेवचन की परिभाषा भेद व उदाहरण के बारे में चर्चा की थी।

लड़की सीता पढ़ रही है।

लड़का विडियो कालिंग कर रहा है।

छात्रा किताब पढ़ रही है।

सुनील गाना गा रहा है।

भैया सामान लेने बाजार गए हैं ।

चाची जी रसोई घर में खाना बनाने में लगी हुई है।

उपरोक्त वाक्यों का अध्ययन करने के उपरांत हमें यह ज्ञात होता है कि कुछ शब्द पुरुष जाति का बोध करा रहे हैं, तो कुछ शब्द स्त्री जाति का बोध करा रहे हैं । ऐसे शब्दों को लिंग कहते हैं।

लिंग की परिभाषा व भेद:-

लिंग संस्कृत भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ है चिन्ह या पहचान । जिन शब्दों से स्त्री जाति या पुरुष जाति का बोध होता हो, उन्हें लिंग कहते हैं।

“शब्द के जिस रुप से किसी पुरुष जाति या स्त्री जाति का बोध होता हो तो, उसे लिंग कहते हैं।”

जैसे- कुत्ता, कुतिया,घोड़ा,घोड़ी, हाथी, हथिनी, मोर, मोरनी, शेर, शेरनी, लड़का, लड़की आदि ‌।

हिंदी भाषा में लिंग दो प्रकार के होते हैं- पुल्लिंग व स्त्रीलिंग। जब कि संस्कृत भाषा में लिंग तीन प्रकार के होते हैं- पुल्लिंग, स्त्रीलिंग व नपुसंकलिंग।

लिंग के प्रकार हिंदी भाषा में लिंग दो प्रकार के होते हैं:-

1.- पुल्लिंग

2.- स्त्रीलिंग

1.- पुल्लिंग:- “शब्द के जिस रुप से पुरुष जाति का बोध होता हो, उसे पुल्लिंग कहते हैं ।”

जैसे- कुत्ता,लड़का, घोड़ा, मोर, हाथी, शेर, बंदर, नाना, अध्यापक, पिता, भाई, दादा, आदि।

2,- स्त्रीलिंग -“शब्द के जिस रुप से स्त्री जाति का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं।”

जैसे:- कुतिया,लड़की, घोड़ी, मोरनी, हथिनी, शेरनी, गाय, बंदरिया, नानी आदि।

हिंदी में लिंग के भेद

 

पुल्लिंग व स्त्रीलिंग शब्दों की पहचान:-

(1). महीनों के नाम पुल्लिंग होते हैं-

जैसे- जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर, अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर,

पोष, माघ, फाल्गुन, चैत्र, बैसाख, जेठ, आषाढ़, सावन, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष।

(2). कुछ ऐसे प्राणीवाचक शब्द होते हैं जो हमेंशा पुल्लिंग में तथा स्त्रीलिंग में ही प्रयुक्त होते हैं ।

जैसे-

पुल्लिंग-तोता, कौवा, खरगोश, गैंडा, भालू, ज़ेबरा, गीदड़, जिराफ, मच्छर, खटमल आदि।

स्त्रीलिंग -नर्मदा, गंगा, यमुना, सरस्वती,  आदि।

(3).बोलियों के नाम भी सदा स्त्रीलिंग होते हैं ।

जैसे-कन्नड़,हरियाणवी, गुजराती, पंजाबी सिंधी, मारवाड़ी, भोजपुरी, हिंदी आदि।

(4).सभी नदियों के नाम भी हमेंशा स्त्रीलिंग में होते हैं ।

जैसे– व्यास, गोदावरी, गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, नर्मदा, कालिंदी, रावी, सतलुज, , ब्रह्मपुत्र कृष्णा, अलकनंदा, लूणी, ताप्ती आदि।

(5).सभी पर्वतों के नाम हमेंशा पुल्लिंग होते हैं।

जैसे- अरावली,विंध्याचल, मलयांचल, हिमालय, आदि।

(6). सागरों, महासागरों, देशों, ग्रहों, द्वीपों, महाद्वीपों, के नाम पुल्लिंग होते हैं।

जैसे-

देश– अमेरिका, कनाडा,भारत, श्रीलंका रूस, जापान, नेपाल, फ्रांस, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, जिंबाब्वे आदि।

ग्रह- पृथ्वी, मंगल, बुध, शनि, शुक्र, बृहस्पति, अरुण, वरुण आदि।

द्वीप– अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप, द्वीप, ग्रीनलैंड आदि।

महाद्वीप- उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका,एशिया, अफ्रीका, यूरोप, आदि।

सागर- लाल सागर, काला सागर, अरब सागर, , कैस्पियन सागर आदि।

महासागर– हिंद महासागर,प्रशांत महासागर, आर्कटिक महासागर, अंध महासागर, अटलांटिक महासागर ।

(7).अ,आ,आव,पा,पन,क,त्व,आवा तथा औड़ा से अंत होने वाले शब्द पुल्लिंग होते हैं।

जैसे–

अ– खेल, रेल, तेल, मेल, , हार, तार आदि।

आ– खीरा,लोटा, छोटा, सोटा, मोटा,जीरा, हीरा आदि।

आव– तनाव,लगाव, ठहराव आदि।

पा– मोटापा, बुढ़ापा आदि।

पन– परायापन,बचपन, अपनापन, लड़कपन आदि।

क– पलक,झलक,चमक, दमक, ठुमक, कसक आदि।

त्व– घनत्तव,अपनत्व आदि।

औड़ा– कीड़ा,पीड़ा,मकौड़ा, हथौड़ा आदि।

कुछ आभूषणों के नाम भी स्त्रीलिंग होते हैं ।

जैसे -चूड़ी, बिंदी, कंघी, नथ, अंगूठी, पायल आदि।

लिंग की परिभाषा व भेद:-

पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम

 

हिंदी भाषा में शब्दों के साथ विभिन्न प्रत्यय को जोड़कर पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग में परिवर्तित किया जाता है।

1.‘अ‘ को ‘आ‘ करके स्त्रीलिंग बनाना

जैसे-

भवदीय – भवदीया

छात्र – छात्रा

शिष्य – शिष्या

आचार्य – आचार्या

आत्मज – आत्मजा

2.‘अ‘ या ’आ‘ को ‘ई‘ करके-

नर – नारी

पुत्र – पुत्री

बेटा – बेटी

मामा – मामी

दादा – दादी

नाना – नानी

देव – देवी

बकरा – बकरी

सखा -सखी

चाचा – चाची

3.‘अक को ‘इका‘ बनाकर-

बालक – बालिका

सेवक – सेविका

गायक – गायिका

अध्यापक – अध्यापिका

लेखक – लेखिका

शिक्षक – शिक्षिका

नायक – नायिका

सहायक – सहायिका

4.- ‘अ’ या ’आ‘ को ‘इया‘ करके-

चूहा – चुहिया

लोटा – लुटिया

डिब्बा – डिबिया

बंदर – बंदरिया

5.‘इन‘ जोड़कर-

ग्वाला – ग्वालिन

कुम्हार – कुम्हारिन

नाग – नागिन

बाघ – बाघिन

माली – मालिन

सुनार – सुनारिन

लोहार – लुहारिन

6 ‘आइन‘ जोड़कर-

लाला – ललाइन

चौधरी – चौधराइन

ठाकुर – ठकुराइन

गुरु – गुरुआइन

बाबू – बबुआइन

हलवाई – हलवाइन

7.-‘नी‘ जोड़ कर-

मोर – मोरनी

शेर – शेरनी

रीछ – रीछनी

भील – भीलनी

8. ‘आनी‘ जोड़कर-

देवर – देवरानी

नौकर – नौकरानी

जेठ – जेठानी

सेठ – सेठानी

मेहतर – मेहतरानी

9.- ‘वती‘ तथा ‘मती‘ जोड़कर-

गुणवान – गुणवती

धनवान – धनवती

बलवान – बलवती

श्रीमान – श्रीमती

शक्तिमान – शक्तिमती

बुद्धिमान – बुद्धिमती

10.- ‘ता‘ के स्थान पर ‘त्री‘ जोड़कर–

दाता – दात्री

कवि – कवयित्री

अभिनेता – अभिनेत्री

नेता – नेत्री

रचयिता -रचयित्री

11.- ‘इनी‘ जोड़कर-

तेजस्वी – तेजस्विनी

स्वामी – स्वामिनी

तपस्वी – तपस्विनी

हंस – हंसिनी

सिंह – सिंहनी

12,- हिंदी भाषा में बहुत से ऐसे शब्द है जिनका रूप लिंग परिवर्तन के साथ पूरी तरह बदल जाता हैं ।

जैसे –

पति – पत्नी

राजा – रानी

पिता – माता

वर – वधू

पुरुष – स्त्री

विद्वान – विदुषी

युवक- युवती

सम्राट – साम्राज्ञी

वीर – वीरांगना

राजा – रानी

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