मकर संक्रांति
मकर संक्रांति:- आज हम इस लेख में मकर संक्रांति के त्यौहार के बारे में पढेंगे| यह भारत का एक फसली त्योहार है जो की पूरे भारत वर्ष में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। इसे पूरे भारत में ‘मकर संक्रांति’ कहा जाता है, क्योंकि इस दिन सूर्य देव ‘मकर राशि’ में प्रवेश करता है। इससे पहले हम आप को “नए साल पर निबंध” के बारे में विस्तार से बता चुके हैं|
यह त्यौहार क्यों मनाया जाता है:-
ऐसा माना जाता है की इस दिन विष्णु भगवान ने देवताओं और असुरुओं के बीच युद्ध समाप्त कर दिया था| जो की हजार वर्षों से चल रहा था। इसलिए लोगो के लिए यह बुराई का अंत और सच्चाई के युग की शुरुआत का महोत्सव है।
- मकर संक्रांति हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है ।
- भारतीय महीनों में यह त्यौहार पौष महीने में आता है।
- मकर संक्रांति हिंदू धर्म में बहुत बड़ा दिवस माना जाता है। मकर संक्रांति से विभिन्न तर्क जुड़े हुए हैं कहा जाता है कि यदि इस दिन जो व्यक्ति पवित्र नदी जैसे-गंगा, यमुना आदि नदी में स्नान करते हैं उसके सभी पाप नाश हो जाते हैं साथ ही साथ इस दिन दान करने का भी अपना अलग महत्व है।
संक्रांत का त्यौहार
- मकर संक्रांति का त्यौहार जिसे अलग अलग राज्य मेंखिचड़ी, पोंगल लड्डू, तिल आदि त्योहार के नाम से भी जाना जाता है।
- यह हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। किसी न किसी रूप में पूरे देश में इस दिन को अपनी-अपनी मान्यताओं के हिसाब से लोग सेलिब्रेट करते हैं|
- अन्य त्योहारों की तरह इस त्योहार पर भी मिठाई बनाने का विशेष महत्व है औऱ उन मिठाई में गुड और तिल के लड्डू विशेष होते हैं।
- भारत में मनाएं जाने गर त्यौहार के पीछे कोई न कोई मान्यताएं व परंपराएं हैं| जिस तरह से दिवाली पर पटाखें जलाना, होली पर रंग खेलना|
ठीक इसी तरह से मकर संक्रांति पर भी पतंगे उड़ाने की परंपरा है| इस दिन कहीं पतंग उड़ाई जाती हैं तो कहीं खिचड़ी बनाकर खाने का रिवाज है|
- मकर संक्रांति के दिन प्राचीन मान्यता के अनुसार पवित्र नदियों में लोग स्नान करते हैं। मकर संक्रांति पर दान करने के बहाने से ही कितने ही जरूरतमंदों की पूर्ति हो पाती है अतः यह बहुत ही प्यार और उमंग से भरा त्यौहार होता है।
- यह त्यौहार मुख्यता आनंद, खुशी और आपसी मेलजोल बनाने का त्यौहार है।
मकर संक्रांति का उत्सव
- इस दिन लोग स्नान आदि करके दान पुण्य भी करते हैं। इस उत्सव के शुभ मुहूर्त में स्नान-दान और पुण्य के शुभ समय का विशेष महत्व होता है|
इस त्यौहार को भारत में मनाने के पीछे कई सारी ओर भी मान्यता हैं|
इसके पीछे यह भि विश्वास है कि भीष्म को अपने पिता से एक वरदान मिला था कि जब वह अपने प्राण त्यागना
चाहेंगे केवल तभी मर पाएंगे, इसी दिन उन्होंने अपने नश्वर रूप को त्यागने का फैसला लिया था। इसलिए यह
अत्यंत शुभ दिन मन जाता है और यही इस त्यौहार का महत्त्व है|
महाभारत में भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही माघ शुक्ल अष्टमी के दिन स्वेच्छा से शरीर का परित्याग
किया था। उनका श्राद्ध संस्कार भी सूर्य की उत्तरायण गति में हुआ था। फलतः आज तक पितरों की प्रसन्नता के लिए
तिल अर्घ्य एवं जल तर्पण की प्रथा मकर संक्रांति के अवसर पर प्रचलित है।
निष्कर्ष : निष्कर्ष तौर पर हम यह कह सकते हैं कि मकर सक्रांति एक बहुत ही गतिविधियों से मिलकर बना त्यौहार
है जिसमें ना सिर्फ मनोरंजन बल्कि पाठ पूजा का भी अपना अलग महत्व है साथ ही साथ भारतीय संस्कृति से
आजकल की पीढ़ी को मिलवाना भी इस त्यौहार द्वारा सफल हो पाता है।