भारत की जलवायु - Hindi GK PDF
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भारत की जलवायु

भारत की जलवायु
Written by Rakesh Kumar

भारत की जलवायु

 

भारत की जलवायु:- आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपसे भारत की जलवायु के बारे में चर्चा करेंगे

कि भारत की जलवायु कैसी है तथा भारत के विभिन्न क्षेत्रों में किस प्रकार की जलवायु पाई जाती है?

इन सब के बारे में विस्तार से चर्चा करंगे|

इससे पहले की पोस्ट में आप “भारत का वस्त्र उद्योग ” के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।

भारत एक उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु वाला देश है| कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच के भाग को

उष्णकटिबंधीय क्षेत्र कहते हैं | भारत में कर्क रेखा के दक्षिण का भाग उष्णकटिबंधीय क्षेत्र  जबकि कर्क

रेखा के उत्तर का भाग शीतोष्ण कटिबंध वाला क्षेत्र  के अंतर्गत आता है|

मानसून शब्द को अरबी भाषा के शब्द मोसिम से लिया गया है जिसका अर्थ है – मौसम। दूसरे अर्थों में हम

कह सकते हैं कि मानसून का अभिप्राय ऋतुओं के अनुसार पवन की दिशा का बदल जाना है। भारत की

जलवायु उष्ण कटिबन्धीय मानसूनी जलवायु है।

भारत की जलवायु:-

1.- भारत की अक्षांशीय स्थिति:- भारत का दक्षिणी भाग उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र तथा जबकि उत्तरी भाग

शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में आता हैं

2.- हिमालय पर्वत की स्थिति:– भारत की उत्तरी सीमा पर हिमालय स्थित है| हिमालय पर्वत के कारण

उत्तर धु्रव से आने वाली सइबेरिया की ठण्डी पवनों को भारत में आने से रोकता है| इस कारण से भारत में

शीत ऋतु की वास्तविक स्थिति नहीं पाई जाती है| हिमालय पर्वत मानसूनी पवनों को रोककर भारत मे वर्षा

करता हैं| इसके बावजूद भारत एक उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु वाला प्रदेश है|

भारत की उत्तरी और दक्षिणी जलवायु

3.- समुद्र तल से ऊँचाई:- जो स्थान समुद्र तल के जितना नजदीक पाया जाता है वहां तापमान उतना ही अधिक

होता है तथा  समुद्र तल से अधिक ऊँचाई होने के कारण तापमान में उतनी ही कमी पाई जाती हैं| समुद्र तल पर

सर्वाधिक तापमान जबकि ऊँचे पर्वतीय भागों पर सबसे कम तापमान पाया जाता है। क्षोभमण्डल में तापमान घटता

जाता है। इसे सामान्य ताप पतन की दर कहते है। जैसे- आगरा व दार्जिलिंग दोनो शहर एक ही अक्षांश पर स्थित हैं

लेकिन शीत ऋतु में आगरा का तापमान 16डिग्री सेंटीग्रेट जबकि दार्जिलिंग का तापमान 4 डिग्री सेंटीग्रेट होता है।

4.-  समुद्र से दूरी:- जो स्थान समुद्र से जितना दूर होता है वहां की जलवायु सम होती है तथा जो स्थान जितना दूर

होता है वहां की जलवायु उतनी  ही विषम होती है| दक्षिणी भारत तीन और से समुद्र से घिरा हुआ है जिसके कारण

सम जलवायु का विकास हुआ है। जैसे-, चेन्नई, कोलकत्ता, विशाखापट्टनम आदि।  उत्तरी भारत समुद्र से दूर होने के

कारण विषम जलवायु का विकास हुआ है। जैसे- अमृतसर, अबांला, दिल्ली, जयपुर, इलाहाबाद ।

5.- उच्चावच:- उच्चावच धरातल की ऊँचाई तथा निचाई से बनने वाले प्रतिरूप को कहते हैं| क्षेत्रीय स्तर पर उच्चावच

भू-आकृतिक प्रदेशों के रूप में व्यक्त होता है| भारत में सर्वाधिक पर्वतीय वर्षा होती है। जो एक उच्चावच का स्वरूप
ही है। मुम्बई व न्यूमैंगलोर में अधिक वर्षा का होना जबकि पश्चिमी घाट का वृष्टि छाया प्रदेश जिसमें बंगलौर शामिल है

कम वर्षा का होना है। इसी प्रकार से बंगाल की खाड़ी की शाखा राजस्थान के पूर्वी भाग में वर्षा करती है। जबकि

पश्चिमी भाग वृष्टि छाया प्रदेश में आता है।

भारत में जलवायु के प्रकार

6.- जेट स्ट्रीम या जेट धाराएं:- ऊपरी वायुमण्डल में और विशेषकर समतापमंडल में तेज गति से प्रवाहित या बहने वाली

हवाएं चलती हैं| इन धाराओं के बहने की दिशा जल धाराओं के समान ही होती है| अत: इन्हें जेट स्ट्रीम का नाम दिया गया

है| इस जेट स्ट्रीम या वायु धारा का सम्बन्ध धरातल पर चलने वाली पवनों के साथ भी जोड़ा गया है|

इस को इस तरह से भी परिभाषित किया जा सकता है कि पश्चिम से पूर्व की ओर तीव्र गति से चलने वाली लहरदार

पवनों को जेट स्ट्रीम कहते है। जिनकी औसत गति शीत ऋतु में 184 किलोमिटर प्रतिघंटा जबकि ग्रीष्म ऋतु में

100 किलोमिटर प्रतिघंटा होती है। अर्थात शीत ऋतु में अधिक तथा ग्रीष्म ऋतु में कम होती है।

7.- अन्तः उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र अर्थात ITCZ:- पृथ्वी पर यह भूमध्य रेखा के पास वृत्ताकार क्षेत्र है जहां

उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध की हवाएं एक जगह मिलती हैं| यह निम्न वायुदाब का क्षेत्र है। यह सूर्य की आभासी गति

के साथ गति करता हैं अर्थात सूर्य की लम्बवत किरणें जहाँ पड़ती हैं ITCZ की पेटी वहीं स्थापित होती है।

ऋतु के अनुसार भारत में मानसून की क्रियाविधि:-

(i).- शीत ऋतु:-

शीत ऋतु में पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर से आर्द्रता ग्रहण करता है तथा अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान से होते हुए

चलता है और उत्तरी तथा पश्चिमी भारत में हल्की वर्षा करता है।

इस समय में भारत में रबी की फसल होने के कारण यह वर्षा लाभदायक होती है।  उस समय  के लिए इन्हे गोल्डन

ड्राप्स के नाम से जाना जाता है।

भारत की जलवायु की महत्वपूर्ण जानकारी

(ii).- शीतकालीन मानसून या रिटनिंग मानसून:-

शरद ऋतु में सूर्य मकर रेखा पर चमकता है। इसके प्रभाव से भारत में स्थल से जल की ओर तेज हवाएं चलना

शुरू कर देती है। ये हवाएं  कोरियोलिस बल के प्रभाव के कारण उत्तर-पूर्व की ओर से दक्षिण-पश्चिम की ओर

चलती है। ये पवनें बंगाल की खाड़ी से आर्द्रता ग्रहण करती हैं तथा कोरोमण्डल तट पर वर्षा करती है।

(iii).- ग्रीष्म ऋतु:-

थार के मरूस्थल तथा उत्तरी मैदानी भाग में ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली गर्म और शुष्क तथा धुलभरी पवनें चलती है|

इन्हें लू के नाम से जाना जाता  है।

(iv).- नार्वेस्टर या काल बैसाखी:-  बैसाख माह में अर्थात ग्रीष्म ऋतु में जब गर्म पवनें छोटा नागपुर के पठारी भाग

पर पहुंचती है तो ये बंगाल की खाड़ी से आर्द्रता ग्रहण करती हैं जिससे चक्रवाती तूफान के रूप में वर्षा होती है।

इसे पश्चिम बंगाल में काल बैसाखी तथा असम में बारदोली छीडा के नाम से जाना जाता  है।

(v).- मैंगो शावर या आम्र वर्षा:- कर्नाटक व केरल अर्थात दक्षिण भारत में प्री मानसून अर्थात मानसून पूर्व की हल्की

वर्षा से आम की फसल शीघ्र ही पक जाती है। इसे आम्र वर्षा के नाम से जाना जाता है।

भारत में वर्षा ऋतु

(vi).- फूलों की बहार अर्थात चेरी ब्लोशम:- कर्नाटक व केरल अर्थात दक्षिण भारत में प्री मानसून वर्षा से कहवे (कॉफ़ी)

के पौधों में  तेजी से फूल आने लगते है। जिन्हे फूलों की बहार कहते है।

महाराष्ट्र राज्य में प्री मानसून वर्षा कपास की वर्षा कहलाती है।

भारत में वर्षा ऋतु का समय:-

(क).- 24-25 मई से मानसून वर्षा सर्वप्रथम अण्डमान एवं निकोबार द्वीप समूह में प्रारम्भ होती है।

(ख).- लगभग 1 जून से केरल तट पर तेज गर्जना के साथ भारी वर्षा प्रारम्भ हो जाती है। इसे भारत में मानसून की

शुरुआत कहा जाता है।

(ग).- 10 जून को मुम्बई व कोलकत्ता में मानसून पहुंच जाता है।

(घ).- जुलाई मास की 15 तारीख को लगभग सारे भारत में मानसून पहुंच जाता है।

(ङ).- सितम्बर मास के प्रथम सप्ताह में मानसून वापिस लौटना प्रारम्भ कर देता है।

दक्षिण-पश्चिम मानसून की शाखाऐं:-

1.- अरब सागर की मानसून शाखा:- यह शाखा पश्चिमी घाट के साथ टकराकर भारी वर्षा करती है| पूर्व की

ओर बढते हुए वर्षा की मात्रा घटती चली जाती है।

2.- बंगाल की खाड़ी की मानसून शाखा:- यह शाखा मेघालय में वर्षा करते हुए मध्य भारत एवं उत्तरी भारत

में हिमालय के साथ-साथ चलती है तथा पश्चिम की ओर चलते हुए वर्षा की मात्रा घटती जाती है।

ये पंजाब राज्य में मिल जाती है तथा हिमाचल के धर्मशाला में संयुक्त रूप से वर्षा करती है।

अल नीनो व ला-नीनो की घटनाएं

अल नीनो की घटना:- उष्ण कटिबन्धीय प्रशांत के भूम्द्य क्षेत्र में समुद्र का तापमान और वायुमंडल की परिस्थितियों में

आये बदलाव के लिए जिम्मेदार समुद्री घटना को अल नीनो कहते हैं| यह घटना 3 से 7 वर्षो में घटित होती है।

इसके  आने से दुनिया भर के मौसम पर बहुत  गहरा प्रभाव दिखाई देता है और बारिश, ठंड, गर्मी आदि में बड़ा अन्तर

दिखाई देता है|

ला-नीनो की घटना:- भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र की सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर ये स्थिति पैदा होती है|

ऐसा पूर्व से बहने वाली तेज हवा के कारण होता है|

इसका सीधा असर दुनिया के तापमान पर होता है| तापमान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है| भारत में इस दौरान

भयंकर ठंड पड़ती है और बारिश भी ठीक-ठाक होती है|

और आखिर में मानसून प्रत्यावर्तन की ऋतु:-

इस ऋतु के अनुसार अक्टूबर मास तक उत्तरी भारत से मानसून लगभग लौट चुका होता है| इस दौरान  भूमि में आर्द्रता

की मात्रा अधिक होने के कारण तथा दिन के समय तेज धूप होने के कारण मौसम कष्टदायी होता है| इसे कार्तिक मास

की उमस कहते है। जबकि इस मास से रात का मौसम अच्छा और सुहावना होना शुरू हो होता है।

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