भारत का वस्त्र उद्योग
भारत का वस्त्र उद्योग:- आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपसे भारत का वस्त्र उद्योग के बारे में चर्चा करेंगे। वस्त्र उद्योग से क्या तात्पर्य हैं, भारत के मुख्य वस्त्र उद्योग कौन-कौन से हैं तथा ये कहां पर स्थित हैं, इन सब विषयों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे?
इससे पहले की पोस्ट के माध्यम से हम “भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल” के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं।
भारत के कपड़ा उद्योग में कपास को सबसे प्रसिद्ध सामग्री माना जाता है| सूती कपड़ा उद्योग भारत के सबसे पुराने उद्योगों में गिना जाता है| भारत का सबसे प्राचीन एवं बड़ा उद्योग है सूती वस्त्र उद्योग को ही माना जाता है| भारत दुनिया के महत्त्वपूर्ण कपास उत्पादक देशों में से एक है| भारत के सूती वस्त्र उद्योग की कई महत्त्वपूर्ण विशेषताएं हैं| यह सूती उद्योग स्वदेशी कच्चे माल पर आधारित है|
सूती वस्त्र उद्योग:-
भारत के सूती वस्त्र उद्योग का इतिहास:-
भारत का सूती वस्त्र उद्योग 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ| यूरोपीयन देशों के सूती वस्त्र के निर्यात ने भारत के वस्त्र उद्योग में क्रांति ला दी| सिन्धुघाटी की सभ्यता में भी सूती वस्त्रों का पता लगाया जा सकता है| उस समय भारत के सूती वस्त्रों की यूरोप और पश्चिम एशिया में बहुत ज्यादा मांग थी| यह उद्योग उस समय एक कुटीर या ग्राम उद्योग के रूप में हुआ करता था|
आधुनिक कपड़ा उद्योग की स्थापना भारत में सन 1818 ई. से हुई है जब पहली बार सूती कपड़े की मिल कलकत्ता के पास फोर्ट ग्लस्टर में शुरू की गई थी, लेकिन पहली भारत की आधुनिक सूती कपड़ा मिल की स्थापना सन 1854 में बॉम्बे स्पिनिंग एंड वीविंग मिल द्वारा स्थानीय पारसी उद्यमी द्वारा की गई थी।
भारतीय वस्त्र उद्योग
भारत में सूती वस्त्र उद्योग का विकास:-
सूती वस्त्र उद्योग:-
सूती वस्त्र उद्योग को भारत का सबसे पारंपरिक और सम्मानित उद्योगों में से एक माना जाता है। 1995-96 के मध्य इस कपड़ा उद्योग ने 64 मिलियन से भी अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करने का करी किया, जो केवल कृषि के लगभग बराबर है।
भारत में कॉटन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज ही एक ऐसा उद्योग है जो अपने स्वयं के धन के साथ समृद्ध हुआ है। दूसरी ओर, भारत देश के पास न केवल अपने देश में बल्कि साथ ही विदेशों में भी एक विशाल बाजार के साथ सबसे समकालीन पूंजी गहन और उच्च गति मिल-उत्पादित कपड़ा है। इसके अलावा, 1997-98 के मध्य देश ने 37.4 बिलियन मीटर कपड़े का उत्पादन किया था।
Textile Industry of India:-
कपड़ा मूल रूप से 3 क्षेत्रों में निर्मित होते हैं – मिल्स, पावरलूम और हैंडलूम। देश में मिल क्षेत्र कुल उत्पादित कपड़ों का केवल 5.2 प्रतिशत है, जबकि हथकरघा और पावरलूम क्रमशः 20.3 प्रतिशत और 73 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हैं। भारत में निर्यात करने के उद्देश्यों के लिए विशाल और बड़े पैमाने पर होजरी का उत्पादन किया जाता है।
भारत देश जापान को और अन्य यूरोपीय आर्थिक समुदायों को भी गुणवत्ता वाले कपड़े का बड़ी मात्रा में निर्यात करता है। हाल ही के समय में विदेशी बाजारों की मांग को पूरा करने के लिए रेडीमेड सूती वस्त्र उद्योग बड़ी तेज गति से विकसित हो रहा है। भारत के सूती कपड़ा उद्योग ने पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की आपूर्ति के लिए कई नई तकनीकों और उपायों को लागू किया है, जो कि विश्व बाजार में बेहतर गुणवत्ता के हैं।
भारत में सूती वस्त्र निर्माण
सूती वस्त्र उत्पादन भारत में मूल रूप से महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात के प्रांतों में स्थित है। सूती वस्त्र उद्योग के महत्वपूर्ण केंद्रों में मुंबई, अहमदाबाद, कोयम्बटूर, मदुरै, इंदौर, नागपुर, सोलापुर, कोलकाता, कानपुर, दिल्ली और हैदराबाद आदि औद्योगिक केंद्र शामिल हैं| भारत के सूती वस्त्र उद्योग को चार क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: 1. पश्चिमी क्षेत्र 2.- दक्षिणी क्षेत्र 3.- उत्तरी क्षेत्र और 4,- पूर्वी क्षेत्र।
महाराष्ट्र से लेकर गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों तक इस उद्योग की पकड़ बहुत मजबूत है और मुख्य रूप से बंबई, अहमदाबाद और कोयम्बटूर के तीन शहरों में।
भारत के सूती वस्त्र उद्योग का भौगोलिक एवं भौतिक वितरण
1.- महाराष्ट्र:-
महाराष्ट्र राज्य भारत में निर्मित सूती वस्त्रों का प्रमुख निर्माता है। मुंबई को “कॉटनपोलिस ऑफ
इंडिया” भी कहा जाता है। भारत का कपड़ा उद्योग अकोला, सांगली, नागपुर,शोलापुर, कोल्हापुर, पुणे, जलगाँव,
सतारा, वर्धा, औरंगाबाद तथा अमरावती तक भी फैला हुआ है।
भारत का सूती वस्त्र उद्योग
2.- गुजरात:-
गुजरात महारास्ट्र के बाद सूती वस्त्रों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। अहमदाबाद नगर को
‘भारत का मैनचेस्टर तथा पूर्व का बोस्टन’ भी कहा जाता है| गुजरात राज्य मुंबई के बाद
सूती वस्त्र उद्योग का दूसरा तथा सबसे बड़ा केंद्र भी रहा है। इस राज्य के अन्य महत्वपूर्ण
केंद्र पोरबंदर, राजकोट, नवसारी,सूरत, वडोदरा, भरूच, भावनगर, नाडियाड, मौरी और वीरमगाम हैं।
3.- तमिलनाडु:-
चेन्नई, तिरुनेलवेली, मदुरै, तूतीकोरिन, सलेम, विरुदनगर और पोलाची तमिलनाडु राज्य
के प्रमुख सूती कपड़ा केंद्र हैं। कोयंबटूर को ‘दक्षिण भारत का मैनचेस्टर’ कहा
जाता है।
4.- उत्तर प्रदेश:-
उत्तर प्रदेश में कानपुर, इटावा, मोदीनगर, मुरादाबाद, बरेली, हाथरस, आगरा, मेरठ और
वाराणसी प्रमुख कपास उत्पादक केंद्र हैं। कानपुर को ‘उत्तर प्रदेश का मैनचेस्टर’
कहा जाता है।
5.- कर्नाटक:-
कर्नाटक राज्य के बैंगलोर, बेलगाम, मंगलौर, चित्रदुर्ग, गलबर्गा और मैसूर प्रमुख सूती वस्त्र
उत्पादक केंद्र हैं।
6- मध्य प्रदेश:-
मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर, ग्वालियर, मंदसौर, देवास, उज्जैन, नागदा, भोपाल, जबलपुर और रतलाम
प्रमुख कपास उत्पादक केंद्र हैं।
7.- राजस्थान:-
राजस्थान राज्य के शहर कोटा, जयपुर, श्रीगंगानगर, भीलवाड़ा, भवानीमंडी, उदयपुर और किशनगंज प्रमुख
सूती वस्त्र उत्पादक केंद्र हैं।
8.- पश्चिम बंगाल:-
पश्चिम बंगाल राज्य में प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादन केंद्र कोलकाता, हावड़ा, सीरमपुर, श्यामनगर,
सैकिया, मुर्शिदाबाद, हुगली और पनिहार हैं।