पृथ्वी का वायुमंडल
पृथ्वी का वायुमंडल:- आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपसे पृथ्वी का वायुमंडल नामक विषय के बारे में चर्चा करेंगे| इससे पहले की पोस्ट के माध्यम से हम आप को “भारत की प्रमुख नदियां ” के बारे में विस्तार से बता चुके हैं।
वायुमंडल से अभिप्राय :-
हमारी पृथ्वी के चारों ओर सैंकड़ों किलोमीटर की मोटाई में लपेटने वाले गैसीय आवरण को वायुमंडल कहते हैं|
वायुमंडल विभिन्न गैसों का मिश्रण हैं जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए है|
पृथ्वी के वायुमंडल के संघटक:-
वायुमंडल में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन, 0.93% आर्गन तथा 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड है तथा अन्य सभी गैसें 0.04% है|
वायुमंडल की परतें:- पृथ्वी का पूरा वायुमंडल एक जैसा नहीं हैं| इस वायुमंडल की अनेक परतें हैं इनका वर्णन निम्न
प्रकार से किया जा सकता है-
1.- क्षोभमण्डल:- यह वायुमंडल की सबसे निचे की परत है। इस परत को सबसे सघन परत माना जाता है। धु्रवों पर
इस परत की ऊँचाई 8 किलोमीटर के लगभग है तथा भूमध्य रेखा पर इस की ऊँचाई 19 किलोमीटर लगभग है।
लेकिन कुल मिलाकर इस परत की औसत ऊँचाई लगभग 13 किलोमीटर है। क्षोभमंडल पर समस्त वायु भार का लगभग
75 प्रतिशत भाग आ जाता है। इस मंडल में मौसम संबंधी सभी घटनाएं होती रहती है। जैसे- 1.-बादलों का निर्माण 2.- तूफान 3.- चक्रवात आदि।
2.- समताप मंडल:- समताप मंडल की परत मौसम एवं बादलों संबंधी सभी घटनाओं से लगभग मुक्त होती है।
इस मंडल में इसी कारण से वायुयानों के उड़ान के लिए आदर्श दशाएं पाई जाती है।
इस मंडल में 20 किलोमीटर से लेकर 35 किलोमीटर तक की ऊँचाई पर ओजोन गैस की सघनता पाई जाती है।
ओजोन परत में सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषण करने की अद्भुत् शक्ति
विद्यमान होती है जो पृथ्वी को बहुत अधिक तापमान से बचाती है|
पृथ्वी के वायुमंडल की ऊँचाई
3.- मध्यमंडल:- मध्यमंडल पृथ्वी के वायुमंडल में समताप मंडल के ऊपर स्थित परत को कहा जाता है| ओजोन परत
का कुछ-कुछ विस्तार इस मंडल में भी मिलता है| इस की ऊँचाई 50 किलोमीटर से लेकर 80 किलोमीटर तक
पाई जाती है। मध्यमंडल में तापमान -80 डिग्री से. तक पाया जाता है।
4.- आयन मंडल:- यह मंडल 80 किलोमीटर से लेकर 400 किलोमीटर तक आयनमंडल का विस्तार होता है। इस मंडल में विद्युत् आवेशित कण पाए जाते हैं जिन्हें आयन कहते हैं| यहां तापमान तेजी से बढ़ता जाता है जिससे इस मंडल की हवा विद्युत आवेशित होती है। पृथ्वी से प्रेषित रेडियो तरंगे इसी मंडल से परावर्तित होकर पुनः पृथ्वी पर वापस लौट आती है।
5.- बहिर्मंडल:- बहिर्मंडल वायुमंडल की सबसे ऊपरी परत होती है। इसमें हीलियम और हाइड्रोजन जैसी गैसें पाई जाती है जो बहुत ही हल्की होती है। मानव निर्मित कृत्रिम उपग्रह इसी मंडल में स्थापित किए जाते है।
पृथ्वी के वायुमंडल के संघटन:-
पृथ्वी का वायुमंडल अनेक गैसों का मिश्रण है| इसमें अनेक ठोस और तरल पदार्थो के कण असमान मात्राओं में तैरते रहते है। वायुमंडल में नाइट्रोजन की मात्रा सर्वाधिक में है। नाइट्रोजन गैस के बाद अन्य गैस क्रमशः निम्न प्रकार से है- 1. ऑक्सीजन 2. ऑर्गन 3. कार्बन-डाई-ऑक्साइड 4. नियॉन 5. हीलियम 6. ओजोन तथा 7. हाइड्रोजन आदि गैसों का स्थान आता है।
इन गैसों के अलावा जलवाष्प और धूल के कण तथा अन्य अशुद्धियां भी वायुमंडल में प्रचुर मात्रा में मौजूद रहती है। विश्व की मौसम सम्बन्धी दशाओं के लिए ये जलवाष्प और धूल के कण तथा ओजोन की परत बहुत अधिक महत्वपूर्ण है।
वायुमंडल में विभिन्न गैसों का लगभग 99% भाग केवल 32 किलोमीटर की ऊँचाई तक सीमित है|
धूल के कणों व जलवाष्प का लगभग 90% भाग अधिकतम 10 किलोमीटर की ऊँचाई तक मिलता है।
पृथ्वी के वायुमंडल में गैसों के वितरण
1.- नाइट्रोजन:- यह वायुमंडलीय गैसों का सबसे प्रमुख भाग है तथा वायुमंडल में इसका भाग लगभग 78% है पर यह अपेक्षाकृत एक निष्क्रिय गैस है| नाइट्रोज एक अनिवार्य तत्त्व है जो प्रत्येक जीव के पर्याप्त विकास एवं कार्य के लिए जरूरी है| निष्क्रिय वातावरण बनाने में नाइट्रोजन गैस का उपयोग किया जाता है|
2.- ऑक्सीजन:- यह गैस मनुष्यों व जन्तुओं के लिए बहुत उपयोगी है। इसे प्राणदायिनी गैस कहा जाता है| वायुमंडल में इसका भाग 21% है| पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के द्वारा इसे वायुमंडल में छोड़ते है जिससे इसकी कमी पूरी होती रहती है|।
3.- आर्गन:- वायुमंडल में आर्गन गैस की मात्रा 0.93 प्रतिशत के लगभग है|
4.- कार्बन डाइऑक्साइड:- वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 0.03% है| यह एक रंगहीन तथा गंधहीन गैस है जो पृथ्वी पर जीवन के लिए अत्यावश्यक है| धरती पर यह प्राकृतिक रूप से पाई जाती है|
5.- अन्य गैसें:- इन सब गैसों के अतरिक्त वायुमंडल में दूसरी गैसें भी हैं जो 0.04 प्रतिशत के लगभग हैं|
वायुदाब तथा पवने:- वायुदाब की पेटियां दो प्रकार की होती है-
1.- ताप जनित पेटियां
2.- गति जनित पेटियां
1.- ताप जनित पेटियां:-
(i). विषुवत रेखा या भूमध्य रेखीय निम्न वायुदाब की पेटी:- यह पेटी भूमध्य रेखा से 5 डिग्री उत्तरी अक्षांश व 5 डिग्री दक्षिणी अक्षांश तक पाई जाती है| इस पेटी को डोलड्रम या शांत पेटी भी कहते है। भूमध्य रेखीय पेटी अत्याधिक ताप के कारण बनती है।
(ii). ध्रुव उच्च वायुदाब की पेटी:- पृथ्वी के दोनो ध्रुवों पर तापमान न्यून होने से ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी बनती है।
पृथ्वी के वायुमंडल की परतें
2- गति जनित पेटियाँ:-
(i). उपोषण उच्च वायुदाब पेटी:- इस पेटी के बनने का कारण यह है कि विषुवतीय क्षेत्रों से उठी गर्म वायु पृथ्वी के घूर्णन से ध्रुवों की ओर बढने लगती है| उपोष्ण क्षेत्र में आकर वह ठंडी और भारी हो जाती है जिससे वह नीचे उतर कर इकट्ठी हो जाती है| इसके परिणाम स्वरूप ही यहां उच्च वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है|
(ii). उपधु्रवीय निम्न वायुदाब की पेटियाँ:- यह पेटियाँ 60 डिग्री से 65 डिग्री के मध्य दोनों गोलार्द्धो में पाई जाती है। इस पेटी से हवाएं पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण विक्षेपित हो जाती है। इस कारण से इस पेटी में निम्न वायुदाब रहता है।
(iii). कॉरिआलिस बल या फेरल का नियम:- दक्षिणी गोलार्द्ध में पवनें बायी ओर तथा उत्तरी गोलार्द्ध में पवनें दाहिनी ओर मुड़ जाती है।
पवनों की दिशाएं:-
स्थायी या प्रचलित पवन:- पृथ्वी पर एक ही दिशा में विस्तृत क्षेत्र पर वर्ष भर चलने वाली पवन को स्थायी या सनातनी पवन कहते है।
उदाहरण:-
1.- व्यापारिक पवन
2.- पछुआ पवन
3.- धु्रवीय पवन
1.- व्यापारिक पवन:- ये पवनें 30 डिग्री अक्षांशों से 0 डिग्री अक्षांशों की ओर चलती है अत: ये व्यापारिक पवनें कहलाती है।
2.- पछुआ पवन:- ये पवनें 35 डिग्री से 60 डिग्री अक्षांशों की ओर चलती हैं अत: इन्हें पछुआ पवन कहते है।
पृथ्वी के वायुमंडल के प्रमुख तथ्य
3.- धु्रवीय पवन:- धु्रवीय पवने धु्रवों से 65 डिग्री अक्षांश की ओर चलती हैं|
4.- मौसमी पवनें:- मौसमी पवनें मौसम के अनुसार अपनी दिशा में परिवर्तन कर लेती है।
जैसे-
भारत में मानसूरी पवनें मौसम के अनुसार दिशा में परिवर्तन कर लेती है।
5.- स्थानीय पवनें:- जो पवनें किसी समय विशेष स्थान पर, किसी छोटे क्षेत्र में चलती है स्थानीय पवनें कहते हैं।
जैस-
भारत के उत्तरी मैदानी क्षेत्रों की गर्म एवं शुष्क स्थानीय हवाएं जो ग्रीष्म ऋतु में चलती है| इन्हें लू के नाम से जाना जाता है।
और अन्त में पृथ्वी के वायुमंडल के बारे में महत्त्वपूर्ण तत्थ्य:-
1.- सागर तल पर सामान्य वायु दाब पाया जाता है|
2.- नाइट्रोजन गैस वायुमण्डल में सबसे अधिक है|
3.- क्षोभमण्डल की ऊँचाई धरातल से लगभग 12 से 14 किलोमीटर है|
4.- शांत पेटी भूमध्य रेखा के दोनो और पाई जाती है|
5.- नाइट्रोजन व ऑक्सीजन गैस वायुमण्डल की मुख्य गैसे है।
6.- अंटार्कटिका के ऊपर ग्लोबल वार्मिंग के कारण ओजोन परत में एक छिद्र बन गया है|
7.- 5 डिग्री उत्तर से 5 डिग्री दक्षिण तक डोलड्रम पेटी का विस्तार है|
8.- आर्गन गैस (अक्रिय गैस) वायुमण्डल में सबसे अधिक मात्रा में है|