दशहरा या विजयदशमी का त्यौहार
दशहरा या विजयदशमी का त्यौहार:- आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आप से दशहरा या
विजयदशमी का त्यौहार के बारे में चर्चा करेंगे| दशहरा या विजयदशमी का त्यौहार कब मनाया जाता है,
इस त्यौहार केमनाये जाने के क्या कारण है तथा यह त्यौहार कैसे मनाया जाता है, इन सब बातों के बारे में
विस्तार से पढेंगे?
इससे पहले की पोस्ट में हम आप को “ ज्वालामुखी और इसके प्रकार “ के बारे में विस्तार
से बता चुके हैं|
संक्षिप्त परिचय:- दशहरा या विजयदशमी का त्यौहार हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है| इस त्यौहार
को हिन्दी कैलंडर के अनुसार आसझ मास या अश्विनी मास की दशमी तिथि को मनाया
जाता है| इसी कारण से इसे विजयदशमी के नाम से जानते है। यह त्यौहार लगभग सभी
धर्मों के लोगों के द्वारा बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है तथा विशेष तौर से हिंदू लोग इसे बड़ी
श्रद्धा भाव के साथ मनाते हैं।
यह त्यौहार पाप पर पुण्य की, बुराई पर अच्छाई की तथा अन्धकार पर प्रकाश की जीत को
भी दर्शाता है|
इस त्यौहार के दिन लोग बड़े सवेरे ही नहा-धोकर नये कपड़े पहनकर तथा सजधज कर तैयार
हो जाते हैं|
इस त्यौहार की तैयारी दशहरा से दस दिन पहले शुरू कर दी जाती है|
दशहरा से दस दिन पहले से गावं और शहरों में रामलीला का आयोजन किया जाता है| नौ दिनों
तक लगातार नव-रात्र के व्रत रखे जाते हैं तथा दुर्गा अष्टमी या दुर्गा नवमी को दुर्गा माता की
कढ़ाई अर्थात हलवा-पूरी का प्रसाद बनाकर पूजा अर्चना की जाती है| कुछ लोग सबसे
पहले दिन और आखिरी दिन व्रत रखकर पूजा अर्चना करते है|
विजयदशमी
नवरात्र का व्रत रखकर तथा दुर्गा माता से शक्ति प्राप्त कर दसवें दिन लोग राजा रावण पर राम की
विजय की ख़ुशी में दशहरा मनाते है। विजयदशमी या दशहरा का त्यौहार हर साल अक्तूबर मास
में दीवाली से ठीक 20 दिन पहले आता है|
विजयदशमी या दशहरा का अभिप्राय:-दशहरा शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है दश + हर|
इसका भावार्थ यह हुआ कि दस बुराइयों से छुटकारा पाना । दशहरा का पर्व भगवान् श्रीरामचन्द्र
जी महाराज द्वारा अपनी अपहरण की गई पत्नी, माता सीता को रावण के चुंगल से छुड़ाने के उपलक्ष्य
में तथा बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
दशहरा का मेला: जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि दशहरा से दस दिन पहले से रामलीलाओं
का आयोजन किया जाता है। रामलीलाओं के कारण ही दशहरे का महत्त्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।
भारत के लगभग हर शहर एवं गाँव के गली मोहल्लों में रामलीला दिखाई जाती है। भारत की
राजधानी दिल्ली में तो हर गली के नुक्कड़ पर रामलीला का अयोजन किया जाता है।
दिल्ली का रामलीला ग्राउण्ड पूरे देश में प्रसिद्ध है जहां की रामलीला विश्व भर में विख्यात है|
देश के प्रधानमंत्री यहाँ की रामलीला देखने के लिए स्वयं दशहरे वाले दिन रामलीला ग्राउण्ड आते हैं।
लाखों लोगों की भीड़ इस रामलीला को देखने के लिए यहां आती है। दशहरे वाले दिन भव्य मेल
का आयोजन होता है। विजयदशमी अर्थात दशहरे के दिन रावण, हाई रावण, कुम्भकर्ण तथा
मेघनाद के पुतले बनाये जाते हैं जिन्हें इसी दिन श्याम के समय मुहूर्त के अनुसार दहन कर दिया
जाता है|
दशहरा
श्री रामचन्द्र जी के द्वारा इन पूतलों के दहन का दृश्य देखने के लिये हजारों की संख्या में लोग
दूर-दूर से आते हैं।
दशहरे के दिन खूब आतिशबाजी भी होती है जिसके द्वारा दर्शकों का मन ख़ुशी से झूम उठता है| ।
बम-पटाखे अर्थात आतिशबाजी दिखाने के बाद रामचंद्र जी रावण का वध करते हैं तथा
बारी-बारी से पुतलों में आग लगाई जाती है। सबसे पहले कुंभकर्ण का पुतला जलाया जाता है।
उसके बाद मेघनाद के पुतले में आग लगाई जाती है तथा अन्त में में रावण के पुतले में आग लगाई जाती है।
रावण के पुतले के दस सिर दिखाए जाते हैं जो इस बात का प्रतीक है कि रावण में दस आदमियों
जितना दिमाग था|
वह चार वेदों का ज्ञाता था| रावण के पुतले में दोनों हाथों में तलवार और ढाल पकड़ी होती है।
रावण के पुतले की नाभि में श्रीराम अग्निबाण चलाते हैं। ऎसी मान्यता है कि रावण की नाभि में
अमृत कुंड था जिसे अग्नि बाण के द्वारा ही सुखाया जा सकता था| पुतलों में आग लगने के उपरांत
सभी लोग अपने-अपने घरों को चल पड़ते हैं।
निषकर्ष
निष्कर्ष तौर पर हम यह कह सकते हैं कि दशहरा या विजयदशमी का त्यौहार हिन्दू धर्म में बड़े
हर्ष व उल्लास के साथ मनाया जाता है| विजयदशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य
तथा अन्धकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना जाता है। इसी दिन भगवान् श्री रामचन्द्र जी
ने बुराई के प्रतीक रावण का वध किया था तथा लंका पर विजय प्राप्त की थी।
हमें भी इस त्यौहार से प्रेरणा लेनी चाहिए तथा अपनी बुराइयों का दहन करके अच्छी बातों को अपनाना चाहिए|