Geography

ज्वालामुखी और इसके प्रकार

ज्वालामुखी और इसके प्रकार
Written by Rakesh Kumar

ज्वालामुखी और इसके प्रकार

 

ज्वालामुखी और इसके प्रकार:- आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपसे ज्वालामुखी और इसके प्रकार विषय के

बारे में चर्चा करेंगे| ज्वालामुखी किसे कहते हैं, इनके उद्गम स्थान कहां पर हैं तथा ये कितने प्रकार के होते हैं, इन

सब के बारे में विस्तार से पढेंगे?

इससे पहले की पोस्ट के माध्यम से हम आप को  “भारत की जलवायु  के बारे में विस्तार से बता चुके हैं।

ज्वालामुखी का इतिहास:-

ऐसा कहा जाता है कि लगभग हजार वर्ष पूर्व की बात है जब इटली में  किसी ज़माने में विसुवियस  पहाड़ फटा था

और उससे आग निकल रही थी। ये लोगों के द्वारा सुनी-सुनाई बातें थी| ये बातें बहुत पुरानी थी और इनके कोई

सबूत भी नहीं थे| अत: लोगों ने इन बातों को सिर्फ एक कोरी कल्पना मान लिया था|

समय बीतता गया और लोग इन बातों को  भूल कर अपनी जिंदगी बिताने लगे थे| कुछ समय के पश्चात इतिहास

प्रसिद्ध नगर पम्पियाई और हर्क्युलेनियम राज्य में 24 अगस्त सन 1979ई. में दोपहर के समय जब लोग अपने काम-धंधो

में व्यस्त थे, विसुवियस पहाड़ से धुआँ निकलना आरम्भ होता है   और धरती काँपने लगती है|

कुछ समय के बाद जोर-जोर से गड़गड़ाहट की आवाजें आने लगती है जिसे सुनकर नगरवासी डर गए थे

और उनके देखते-देखते धूल और पत्थर तथा आग की बारिश होने लगी थी।

नगर के लोगों को ऐसा लगने लगा कि अब संसार का अंत होने वाला है तथा सब कुछ खाक में मिल कर

ख़त्म हो जाएगा| लोग डर के मारे अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे|

ज्वालामुखी तथा इसके प्रकार

उस ज्वालामुखी के चपेट में आने से कुछ लोग ही बच सके और ज्यादातर लोगों को उस ज्वालामुखी  विस्फोट

ने अपनी चपेट में ले लिया| जो लोग वहाँ पर बच गए थे वे कभी दोबारा उस नगर की ओर नहीं गए

और वह नगर भी लावा के पिघले हुए पदार्थों से ढक कर समाप्त हो चूका था।

ज्वालामुखी से अभिप्राय:-

पृथ्वी की सतह पर, ज्वालामुखी  वह प्राकृतिक मुख या दरार होता है जिससे पृथ्वी का पिघला हुआ पदार्थ

जैसे- लावा,  भाप राख तथा अन्य धधकती हुई गैसें आदि बहार आती है। लावा जो पृथ्वी से बहार निकलता है

वह  हवा में उपर उठ जाता है तथा शीघ्र ही ठंडा होकर छोटे टुकड़ों में बदल कर निचे गिर जाता है| इसे हम

सेंडर के नाम से जानते हैं।

ज्वालामुखी के अंदर से जिस स्थान से ये पदार्थ निकलते हैं उसे ज्वालामुखी का मुख या उदगार कहा जाता हैं|

उदगार से निकलने वाली गैसों में सर्वाधिक वाष्प का प्रतिशत होता है। लावा के अंदर जो बुलबुले बनते हैं वे इन्ही

गैसों के कारण उठते हैं| उदगार से जब लावा निकलना बंद हो जाता है तब भी कुछ समय  तक ज्वालामुखी से

भाप निकलती रहती है|

Meaning Of Volcano

पृथ्वी के सतह के अंदर पिंघली हुई चट्टानों को ऊपर लाने में ये गैसें ही सहायक होती है| सतह पर  जिस जगह कोई

कमजोर दरार, छिद्र या कोई कमजोर परत होती है तो उसे तोड़कर यह गैस लावा को ऊपर की ओर धकेलकर उसे

रास्ता बनाने में मदद करती है|

धरातल के नीचे के दबाव के कारण  ज्वालामुखी में विस्फोट हो जाता है। कई बार ये दबाव इतना भयानक होता है कि

धरातल पर ज्वालामुखी के फूटने से जबर्दस्त विस्फोट होता है तथा भूकंप के आने की सम्भावना बढ़ जाती है।

ज्वालामुखी के प्रकार

ज्वालामुखी तीन प्रकार के होते हैं:_

1.- सक्रीय ज्वालामुखी

2.- प्रसुप्त ज्वालामुखी

3.- शान्त ज्वालामुखी

1.- सक्रीय ज्वालामुखी:-

सक्रीय ज्वालामुखी उन ज्वालामुखी पर्वतों को कहा जाता है जिनमें अक्सर विस्फोट अर्थात उदगार होता रहता है| इनमे सदैव

कुछ-कुछ समय के बाद उदगार होते रहते हैं| इस कारण से इनमे से सदैव धुआँ, गैस, लावा तथा अन्य बहुत गर्म तरल पदार्थ

निकलते रहते है|

सक्रीय ज्वालामुखी में समय-समय पर विस्फोट होते रहते हैं। वर्तमान समय में विश्व के अंदर सक्रीय ज्वालामुखियों की संख्या

500 के लगभग है। इन ज्वालामुखीयों में, इटली का एटना तथा स्ट्राम्बोली प्रमुख ज्वालामुखी हैं ।

स्ट्राम्बोली का स्थान सिसली के उत्तर में भूमध्य सागर में लिपारी द्वीप पर स्थित है। इस ज्वालामुखी में से सदा जलती हुई गैसे

निकलती रहती है| इस कारण से आस-पास के इलाके में  प्रकाश होता रहता है| यही कारण है कि इस ज्वालामुखी को भूमध्य

सागर का प्रकाश स्तम्भ  कहा जाता है।

2.- प्रसुप्त ज्वालामुखी:-

प्रसुप्त ज्वालामुखी से अभिप्राय है कि ऐसा ज्वालामुखी जिसमे निकट अतीत में कोई विस्फोट नहीं हुआ है लेकिन निकट

भविष्य में इसमें कभी भी विस्फोट या उदगार हो सकता है।

प्रसुप्त ज्वालामुखी के उदाहरण:-

1.- विसुवियस (भूमध्य सागर)

2.-  क्रकाटोवा (सूडा जलडमरूमध्य)

3.-  फ्यूजियामा (जापान)

4.- मियन (फिलिपिन्स).

3.- शान्त ज्वालामुखी:-

शान्त ज्वालामुखी ऐसे ज्वालामुखी होते हैं जिनमें पुराने ऐतिहासिक काल से कोई विस्फोट नहीं हुआ है| क्योंकि इन

ज्वालामुखीयों में विस्फोट नहीं होता है इसलिए इन्हें शान्त ज्वालामुखी या फिर मृत ज्वालामुखी भी कहा जाता है|

इन ज्वालामुखी में पुनः उदगार होने की संभावना न के बराबर होती है।

 

शान्त ज्वालामुखी के उदाहरण

1.- कोह सुल्तान एवं देमवन्द (ईरान)

2.-  पोपा (म्यांमार)

3.-  किलिमंजारो (अफ्रीका)

4.-  चिम्ब्राजो (द. अफ्रीका)

गेसर से अभिप्राय:-

यह एक प्रकार का गर्म पानी का चश्मा होता है| इसमें से समय-समय पर गर्म पानी जोर के साथ पृथ्वी से एक

तेज फव्वारे के रूप में बाहर आता है| गर्म पानी के साथ धरती से भाप भी फूट-फूटकर बाहर निकलती रहती है|

इसे ही गेसर कहा जाता है।

गेसर पृथ्वी पर कुछ ही स्थानों पर पाया जाता है| ऐसा इस लिए है कि इसके निर्माण में विशिष्ट प्रकार की भूवैज्ञानिक

तथा भूतापीय परिस्थितियों की आवश्कता होती है|

गेसर के उदाहरण:-

1.- ओल्ड फेथफुल गेसर, यह USA के यलोस्टोन पार्क में स्थित हैं| इस ज्वालामुखी में प्रत्येक मिनट उद्गार होता रहता है।

2.- एक्सेल्शीयर गेसर भी इसी स्थान के पास में स्थित है|

ज्वालामुखी से सम्बंधित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य:-

1.- प्रशान्त महासागर के तटीय भाग कुल सक्रीय ज्वालामुखी का अधिकांश भाग पाया जाता है तथा प्रशान्त महासागर के परिमेखला

को अग्नि विलय के नाम से भी जाना जाता हैं।

2.- अमेरिका एवं एशिया महाद्वीप के तटों पर सबसे अधिक सक्रीय ज्वालामुखी स्थित हैं।

3.- कोटोपैक्सी या इक्वेडोर विश्व का सबसे ऊँचा ज्वालामुखी पर्वत है|

इस ज्वालामुखी की ऊँचाई 19,613 फ़ीट के लगभग है।

4.- ओजस डेल सालाडो जिसकी ऊँचाई 6885 मीटर है विश्व का सबसे ऊँचाई पर स्थित सक्रीय ज्वालामुखी  है|

यह एण्डीज पर्वतमाला में चिली देश के अर्जेंटीना की सीमा पर स्थित है।

5.- एकांकागुआ एण्डीज पर्वतमाला पर सबसे ऊँचाई पर स्थित शांत ज्वालामुखी है|

इस ज्वालामुखी की ऊँचाई लगभग 6960 मी. है।

 

 

 

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Rakesh Kumar