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छत्रपति शिवाजी महाराज

छत्रपति शिवाजी महाराज
Written by Rakesh Kumar

छत्रपति शिवाजी महाराज

 

छत्रपति शिवाजी महाराज:- आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आप के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज पर निबंध के बारे में  चर्चा करेंगे|

इससे पहले की पोस्ट में हम आप को गुरु रविदास जयंती के बारे में विस्तार से बता चुके हैं|

 

छत्रपति शिवाजी महाराज:-

हर साल 19 फरवरी को महाराष्ट्र के महान मराठा योद्धा और स्वराज्य के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है| शिवाजी का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोंसले एक शक्तिशाली सामंत थे। उनकी माता जीजाबाई जाधव कुल में उत्पन्न असाधारण प्रतिभाशाली महिला थी। शिवाजी के बड़े भाई का नाम सम्भाजी था जो अधिकतर समय अपने पिता शाहजी भोसलें के साथ ही रहते थे।

 

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti

आरम्भिक जीवन:-

भारत जब पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था, जब विदेशी आक्रांताओं ने न केवल भारत के विशाल भू-भाग को बल्कि भारतीय जनमानस के चित्त को भी गुलाम बना लिया था, ऐसे में महाराष्ट्र में स्वराज्य की अलख जगी| वहां से गुलामी के प्रतिकार के सबल स्वर सुनाई दिए, वे स्वर देखते-ही-देखते संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप में प्रसारित हो गए| छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की यह गर्जना की थी और हर साल 19 फरवरी को इस महान मराठा योद्धा की जयंती मनाई जाती है| भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर समूचे मानव समाज के लिए शिवाजी प्रेरणापुंज हैं| उनके विचारों और कार्यों के पुण्यस्मरण ने व्यक्ति के भीतर साहस और आत्मविश्वास की सर्जना की है|

 

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti

 

शिवाजी पर अपनी मां जीजाबाई का प्रभाव सर्वाधिक था| पुणे में जीजाबाई और दादा कोंड देव के संरक्षण में उन्होंने अपने बाल्यकाल और कैशोर्य के दिन बिताए| शिवाजी इन दिनों अपने आस-पास की स्थितियों को देख रहे थे| अनेक सवाल उनके मन में उपजे। ऐसे में प्रखर मेधा की धनी जीजाबाई ने अपने पुत्र की जिज्ञासाओं का उत्तर दिया| उन्हें जीवन का उद्देश्य तय करने में सहायता प्रदान की| वे स्वयं घुड़सवारी और तलवारबाजी में निपुण थी|

छत्रपति शिवाजी महाराज:-

माता-पिता का यह कौशल शिवाजी में भी खूब अच्छे से समाया हुआ था| शिवाजी के गुरु समर्थ स्वामी रामदास थे| पराधीन भारत में भी शिवाजी के स्वतंत्र और साहसी व्यक्तित्व का विकास इसलिए हो सका क्योंकि जीजाबाई और रामदास जैसे सिद्ध व्यक्तियों ने उन्हें गढ़ा था|

 

दुर्गों पर नियंत्रण:-

छत्रपति शिवाजी महाराज ने 16 साल की उम्र में तोरणा के किले पर जीत हासिल की थी| उनका स्वप्न अलग मराठा राज्य बनाने का था| इस उद्देश्य से उन्होंने विदेशियों के आधिपत्य वाले आस-पास के सभी किलों को धीरे-धीरे मराठा साम्राज्य के अधिकार में कर लिया| शिवाजी जानते थे कि स्वराज्य जैसे बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जरूरी है कि लोग संगठित हों| संगठन की क्षमता दुर्भेद्य लक्ष्य की प्राप्ति को भी संभव बनाती है, इसीलिए उन्होंने 18 साल की उम्र में संगठित सेना बनाई थी| शिवाजी के नेतृत्व में इस सेना ने कई युद्ध अभियानों में हिस्सा लिया और विजयी हुए| शिवाजी का युद्ध कौशल अद्भुत था| उनमें वीरता के साथ मेधा का पर्याप्त तालमेल था|

 

छत्रपति शिवाजी महाराज निबंध

अफजल खान और शिवाजी की भेंट:-

उन्होंने कई युद्ध छापामार शैली में लड़े और जीते| उन्हें भारतीय नौसेना का जनक भी माना जाता है| इतिहास में अफजल खान और शिवाजी की भेंट बहुत चर्चित है शिवाजी के हाथों मुगल सेनापति अफजल खान की मौत हुई थी | एक बार अफजल खान ने शिवाजी को भेंट का संदेश भेजा, भेंट तय हुई| शिवाजी ने शर्त रखी कि किसी के पास कोई शस्त्र नहीं होगा, सेना नहीं होगी, साथ में सिर्फ एक अंगरक्षक होगा| अफजल खान ने अपने हाथ में कटार छिपा रखी थी|

 

Chhatrapati Shivaji Maharaj:-

छत्रपति शिवाजी अफजल खान के षड्यंत्रों से परिचित थे, उन्होंने कवच पहना और दाएं हाथ में सुरक्षा के लिए बाघ के नाखून से बना एक अस्त्र रखा| गले मिलने के बहाने अफजल खान ने शिवाजी की पीठ पर कटार से वार किया| कवच पहने होने के कारण शिवाजी पर इस वार का कोई असर नहीं हुआ और इसी बीच उन्होंने अफजल खान पर बाघ के नाखून से बने अस्त्र से हमला किया और अफजल खान वहीं ढेर हो गया| वर्ष 1674 तक शिवाजी ने अधिकांश प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था| इसी वर्ष महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में उनका राज्याभिषेक हुआ| यहीं उन्हें छत्रपति की उपाधि प्रदान की गई|

 

शिवाजी महाराज

शिवाजी का सुशासन:-

शिवाजी के सुशासन की चर्चा आज भी होती है| उन्होंने अष्ट प्रधान की संकल्पना की थी| यह आज के मंत्रिमंडल जैसा ही है| युवा, वृद्ध महिलाओं समेत सभी नागरिकों के लिए उनका शासनकाल संतोषप्रद था| वर्ष 1680 में राजगढ़ के किले में बीमारी के कारण उनका निधन हो गया| मृत्यु के तीन सौ साल बाद भी शिवाजी के कार्य हमारे सम्मुख प्रेरणा बनकर खड़े हैं| बीती दो सदियों से लोगों ने उन्हें जीवित रूप में भले ही नहीं देखा पर शिवाजी का पुण्य स्मरण ही राष्ट्र के उत्थान में सर्वस्व आहूत करने का आह्वान करता है|

 

महत्त्वपूर्ण तिथियां और घटनाएं:-

No.-1. शिवाजी महाराज का जन्म – 19 फरवरी 1630

No.-2. शिवाजी महाराज और साईबाई का विवाह – 14 मई 1640

No.-3. शिवाजी महाराज ने पुणे के पास तोरण दुर्ग पर अधिकार कर लिया – 1646

No.-4. शिवाजी महाराज ने चन्द्रराव मोरे से जावली जीता – 1656

No.-5. शिवाजी महाराज ने अफजल खान का वध किया – 10 नवंबर, 1659

No.-6. संभाजी का जन्म – 5 सितंबर, 1659

No.-7. शिवाजी महाराज ने बीजापुर पर अधिकार कर लिया – 1659

No.-8. शिवाजी महाराज ने सूरत पर धावा बोला और बहुत सारी धन-सम्पत्ति प्राप्त की – 6 से 10 जनवरी, 1664

No.-9. शिवाजी महाराज ने औरंगजेब के साथ पुरन्धर शांति सन्धि पर हस्ताक्षर किया – 1665

No.-10. शिवाजी महाराज आगरा कारावास से भाग निकले – 1666

No.-11. कर लगाने का अधिकार प्राप्त – 1667

No.-12. शिवाजी महाराज और औरंगजेब के बीच शांति सन्धि – 1668

No.-13. शिवाजी महाराज ने दूसरी बार सूरत पर धावा बोला – 1670

No.-14. शिवाजी महाराज ने रायगढ़ में ‘छत्रपति’ की पदवी मिली और राज्याभिषेक करवाया । 18 जून को जीजाबाई की मृत्यु – 1674

No.-15. शिवाजी महाराज की मृत्यु – 1680

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