हिंदी व्याकरण

कारक की परिभाषा व भेद

कारक की परिभाषा व भेद
Written by Rakesh Kumar

कारक की परिभाषा व भेद

 

कारक की परिभाषा व भेद:- आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपसे कारक की परिभाषा व भेद के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे । पिछली पोस्ट में हमने आपसे  “वचन की परिभाषा व भेद”  के बारे में चर्चा की थी।

जैसे:-

हीरा  ने दुश्मन  को मार दिया |

सुरेश ने बाज को बाण से मार दिया |

राम ने रावण को बाण से सीता के लिए मार दिया |

रमेश  ने प्रीतकौर से अलग होने पर धीरज  को बन्दूक से मार दिया ।

कृष्ण  ने गीता  के अपहरणकर्ता  को बाण से मार दिया ।

राजा  ने हंस को बाण से मार कर जमीन पर गिरा दिया |

भीम ने युधिष्टर को गदा से मार दिया |

उपरोक्त वाक्यों का अध्ययन करने से  हमें कारक व इसकी विभक्तियो के बारे में जानकारी मिलती है|

कारक की परिभाषा व भेद:-

कारक की परिभाषा व भेद:-“शब्द के जिस रुप से वाक्य के अनेक शब्दों के साथ उसके संबंध का बोध होता है, उसे कारक कहते हैं |”

जैसे :- राम ने बाली को बाण से सुग्रीव के लिए मार दिया ।

कारक विभक्ति:- संज्ञा सर्वनाम शब्दों के साथ ‘ने’, ‘को’, ‘से’, ‘के लिए’, ‘का’, ‘के’, ‘की’ आदि चिन्ह  लगाते हैं, उन्हें कारक विभक्ति कहते हैं । कारक विभक्ति को परसर्ग भी कहते हैं|

कारक के भेद या प्रकार :-

हिंदी में कुल आठ कारक होते हैं:-

1.- कर्ता कारक

2.- कर्म कारक

3.- करण कारक

4.- संप्रदान कारक

5.- अपादान कारक

6.- संबंध कारक

7.- अधिकरण कारक

8.- संबोधन कारक

 

कारक की परिभाषा

 

कारक                        चिह्न                          अर्थ

 

कर्ता कारक                  ने                           काम को करने वाला

कर्म कारक                   को                          जिस पर क्रिया कर्म का फल पड़े

करण कारक                 से, द्वारा                  क्रिया करने का साधन

संप्रदान कारक              के लिए                   जिसके लिए क्रिया की जाए

अपादान कारक             से अलग होना        दो वस्तुओं का अलग होना

संबंध कारक                 का, के ,की            संबंधों का बोध हो

अधिकरण कारक           में,                         पर ,आधार का बोध हो

संबोधन कारक               हे ! अरे !              किसी को पुकारना या बुलाना

 

हिदी में कारक के भेदों का वर्णन :-

1.कर्ता कारक:- “शब्द के जिस रूप से कार्य करने वाले का बोध हो, उसे कर्ता कारक कहते हैं।“

जैसे- जेनब नमाज पढ़ता है।

नूर कुरान पढ़ रही है।

कमलेश ने पत्र लिखा।

भीम ने युधिष्टर को मारा ।

1.कर्ता कारक का प्रयोग-

(1).परसर्ग सहित

(2).परसर्ग रहित

(1). परसर्ग सहित-

प्रेरणार्थक क्रियाओं के साथ ‘ने’ का प्रयोग किया जाता है ।

जैसे- राम ने रावण को मारा ।

सीमा ने रानी को पढ़ाया।

सकर्मक क्रिया में कर्ता के साथ ‘ने’ परसर्ग लगाया जाता है।

जैसे:- शीतल ने खाना खाया।

जरीना ने गाना गाया|

(2). परसर्ग रहित–वर्तमान और भविष्य काल में परसर्ग नहीं लगता|

जैसे – बच्ची हंसती है।

भूतकाल की अकर्मक क्रिया में परसर्ग  का प्रयोग नहीं किया जाता|

जैसे:- पत्ता गिरा|

2.- कर्म कारक:-“ शब्द के जिस रुप पर क्रिया के व्यापार का फल पड़े, उसे कर्मकारक कहते हैं।“

इसका विभक्ति चिह्न ‘को’  होता है।

जैसे – अध्यापिका ने बच्चे को पढ़ाया।

लक्ष्मण ने मेघनाथ को मारा।

कृषण ने राधा को बुलावाया।

कृष्ण ने कंस को मारा।

3.- करण कारक:-“क्रिया के जिस रुप से क्रिया के करने के साधन का बोध होता हो, उसे करण कारक कहते हैं ।“

इसका विभक्ति चिह्न  ‘से ,के द्वारा’ होता है।

जैसे:-

दिनेश ने कलम से सुलेख लिखा|

मन्नु ने पेन से चित्र बनाया |

 

कारक की परिभाषा व भेदों का वर्णन

 

 

4.- संप्रदान कारक:- “शब्द के जिस रूप के लिए कोई क्रिया की जाए ,उसे संप्रदान कारक कहते हैं।“

इसका विभक्ति चिह्न  ‘के लिए’ होता है।

जैसे:-राम ने रावण को सीता के लिए मारा।

दीपांशु, नीरज के लिए पुस्तक देता है।

हमें भूखों के लिए खाना देना चाहिए।

देव ब्राह्मण के लिए दान देता है।

कारक की परिभाषा व इसके  प्रकार :–

5.- अपादान कारक:- “शब्द के जिस रुप से दो वस्तुओं का एक दूसरे से अलग होना पाया जाए,उसे अपादान कारक कहते हैं।“इसका  विभक्ति चिह्न  ‘से’ अर्थात अलग होना  होता है।

जैसे:- वृक्ष से पत्ते गिरते हैं।

जामुन के पेड़ से जामुन गिर गए।

गंगा नदी हिमालय पर्वतसे निकलती है।

बच्चा छत से गिर गया।

6.- संबंध कारक:- “शब्द के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी वस्तु से संबंध का बोध हो, उसे संबंध कारक कहते हैं |”  इसके विभक्ति चिह्न  ‘का , के , की’ आदि होते हैं।

जैसे:- यह खेत मोहन का है|

यह कलम मेरे मित्र की है|

7.- अधिकरण कारक:-“ शब्द के जिस रुप से क्रिया के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं |”

इसका विभक्ति चिह्न ‘में, पर’ होता है।

जैसे:- श्याम कुर्सी पर बैठा है |

बच्चे छत पर खेल रहे हैं |

फलों की टोकरी मेज पर रखी हैं।

पेन टेबल पर रखा  है।

मेंडक पानी में रहते है।

टोकरी में अनार रखे है।

8.- संबोधन कारक:- “शब्द के जिस रुप से किसी को पुकारने का बोध होता हो तो उसे संबोधन कारक कहते हैं |”

इसका विभक्ति चिह्न ‘हे ,अरे’ होता है।

जैसे:- हे राम  ! क्या घोर कलयुग आ गया है|

हे साहेब ! मुझ पर रहम करो।

अरे बच्चो ! शोर मत करो।

हे भाई ! जरा देख के चलो|

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