ऋतु परिवर्तन के कारण
ऋतु परिवर्तन के कारण:-आज इस लेख के माध्यम से हम आप को ऋतु परिवर्तन के कारण विषय के
बारे में जानकारी प्रदान करेंगे| ऋतुएं कितने प्रकार की होती हैं तथा ये कैसे बदलती हैं, इन सब के बारे
में विस्तार से समझाएंगे।
इससे पहले वाली पोस्ट में हम आप को “पृथ्वी का वायुमंडल” के बारे में विस्तारपूर्वक बता चुके हैं।
ऋतु परिवर्तन के कारण:-
पृथ्वी की दो गतियाँ होती हैं| दैनिक गति तथा वार्षिक गति| पृथ्वी की दैनिक गति के कारण दिन और रात
बनते हैं तथा वार्षिक गति के कारण मौसम में परिवर्तन होता है अर्थात ऋतुएं बदलती हैं| यह हम सब अच्छी
तरह से जानते हैं कि पृथ्वी हमारे सौरमंडल का एक भाग है। अपने अक्ष पर पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर लगातार
घूम रही है। पृथ्वी अपनी धूरी या अक्ष पर 23½° कोण पर झुकी हुई है। यह अपने अक्ष पर तो घूमती ही है
साथ-साथ सूर्य के चारों ओर एक अंडाकार के रास्ते पर परिक्रमा कर रही है। सूर्य के चारों ओर पृथ्वी एक
वर्ष में पूरा चक्कर करती है।
अपने अक्ष पर पृथ्वी के 23½° झुके होने के कारण सदा सूर्य की किरणें एक समान इस पर नहीं पड़ती हैं|
पृथ्वी के इस झुकाव के कारण सूर्य की किरणें यहां के मौसम को भी प्रभावित करती हैं| इस कारण से पृथ्वी
का एक आधा भाग छह महीने तक सूर्य की ओर झुका रहता है तथा अगले छह महीने तक पृथ्वी का दूसरा
आधा भाग सूर्य की ओर झुका रहता है। इस कारण से ऋतुएं बदलती रहती| यह क्रम निरंतर इसी प्रकार से चलता रहता है|
पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन कैसे होता है?
क्योंकि पृथ्वी के अपने अक्ष पर 23½° झुकी हुई है इसके कारण उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध में एक
ही समय में अलग-अलग ऋतुएं होती हैं। उत्तरी गोलार्ध में जब सर्दऋतु होती है तो इसके विपरीत दक्षिणगोलार्ध में
तेज गर्मी पड़ती है। तथा जब उत्तरी गोलार्ध में गर्मी का मौसम होता है तो उस समय में दक्षिणी गोलार्ध में कड़ाके कि
ठंड पड़ रही होती है।
ऋतु परिवर्तन के कारण:-
ऋतुओं में होना वाले परिवर्तन का एक दूसरा कारण पृथ्वी का विशेष आकर भी है।
सारा साल भूमध्य रेखा पर सूर्य की किरणें लम्बवत रूप में पड़ती रहती हैं| वहां पर इसी कारण
सें पूरे साल गर्मी पड़ती रहती है। पृथ्वी के मध्य एक काल्पनिक रेखा है जो भूमध्य रेखा
मानी गई है जिसे 0° अक्षांश रेखा के नाम से भी जाना जाता है| भूमध्य रेखा की ओर से हम
जैसे ध्रुवों की तरफ आते हैं तो तापमान में गिरावट आना शुरू हो जाती है| ध्रुवों पर पहुंचते-
पहुंचते यह गर्मी लगभग समाप्त हो जाती है तथा उस जगह का तापमान जीरो डिग्री से
भी नीचे चला जाता है। उन स्थानों पर हर वक्त बर्फ जमी रहती है तथा वहां बहुत अधिक ठंड पड़ती है।
जब पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है तो यह लगातार चलने वाली हवाओं की दिशाओं तथा जलधाराओं की दिशाओं का
निर्धारण भी करती है। इस प्रकार से पवनों व जलधाराओं की दिशाएं भी मौसम पर अपना प्रभाव डालती हैं तथा ऋतु
परिवर्तन का कारण बनती हैं।
मौसम परिवर्तन कैसे होता है?
ऋतु परिवर्तन से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य:-
21 मार्च को सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर सीधी रेखा में पड़ती हैं। पूरे संसार में इस दिन,
दिन और रात बराबर होते हैं।
दोनों गोलार्द्धों पर इस दौरान सूरज की किरणें समान रूप से पड़ती हैं। उत्तरी गोलार्ध में इस
समय बसंत ऋतु होती है तथा दक्षिणी गोलार्ध में पतझड़ ऋतु होती है।
सूर्य की किरणें 21 जून को कर्क रेखा पर सीधी रेखा में पड़ती है। सूर्य की किरणें इस समय
उत्तरी गोलार्ध में सीधी रेखा में पड़ती हैं तथा दक्षिणी गोलार्ध में तिरछी पढ़ती हैं। इस प्रकार
से उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्मऋतु होती है तथा दक्षिणी गोलार्ध में सर्दऋतु होती है।
भूमध्य रेखा पर 23 सितंबर को सूर्य की किरणें सीधी रेखा में अर्थ लम्बवत पड़ती हैं। पूरे संसार में इस दिन दिन
और रात समान होते हैं। दक्षिण गोलार्ध में इस समय गर्मी की ऋतु होती है।
मकर रेखा पर सूर्य की किरणें 22 दिसंबर को सीधी रेखा में पड़ती है। सूर्य इस दिन दक्षिण दिशा
में जाना शुरू हो जाता है।
उत्तरी गोलार्ध में इस समय सूरज की किरणें तिरछी पड़ती हैं तथा दक्षिणी गोलार्ध में लम्बवत पड़ती है। उत्तरी
गोलार्ध में इस कारण से सर्दऋतु होती है तथा दक्षिणी गोलार्ध में इस समय में ग्रीष्मऋतु होती है।
पृथ्वी लगभग 1690 किमी/घंटा की रफ्तार से घूमते हुए 96.6 करोड़ किमी की दूरी पार करती है|
भारत देश में लगभग हर प्रकार की ऋतु होती है जिनके नाम इस प्रकार से है- ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु, शीत ऋतु, तथा बसंत ऋतु।