अव्यय की परिभाषा व भेद
अव्यय की परिभाषा व भेद :-आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपसे अव्यय के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे |अव्यय किसे कहतें हैं? इसका क्या अर्थ व परिभाषा है तथा हिंदी व्याकरण में अव्यय का क्या महत्तव है| इन उपरोक्त सभी विषयों के बारे में व्यापक रूप से चर्चा की जाएगी| इससे पहली पोस्ट में हम आपको ‘शब्द की परिभाषा व भेद’ के बारे में बता चुके हैं |
हिंदी में व्याकरण में अव्यय का दूसरा नाम अविकारी शब्द होता है| अविकारी वे शब्द होते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, काल, कारक आदि की वजह से कोई परिवर्तन नहीं होता है| उन्हें अव्यय शब्द कहते हैं। अव्यय शब्द हर स्थिति में अपने मूल रूप में ही रहते हैं।
अव्यय की परिभाषा व भेद:-
अव्यय की परिभाषा व भेद:- ‘वे शब्द जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, काल, कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता है, उन्हें अव्यय शब्द कहते हैं’।
जैसे :- उधर, जब, तब, अभी, अगर, वह, वहाँ, यहाँ, इधर, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतएव, अवश्य, तेज, कल, धीरे, लेकिन, चूँकि, क्योंकि आदि।
सोहन अभी शहर गया है |
अव्यय के भेद
हिंदी व्याकरण में अव्यय के पांच भेद हैं :-
1.-क्रिया-विशेषण अव्यय
2.- संबंधबोधक अव्यय
3.- समुच्चयबोधक अव्यय
4.- विस्मयादिबोधक अव्यय
5.- निपात अव्यय
हिंदी व्याकरण में अव्यय के भेद या प्रकार :-
1.- क्रिया-विशेषण अव्यय:- क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्दों को क्रिया-विशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे- अभी, बहुत, यहाँ , तेज , अब , रात , धीरे-धीरे , प्रतिदिन , सुंदर , वहाँ , तक , जल्दी आदि क्रिया विशेषण अव्यय के उदाहरण है।
आइये इन अव्ययों से सम्बन्धित कुछ वाक्यों के उदाहरण देखतें हैं-
जैसे:- रमेश यहाँ से चला गया।
काला घोडा तेज दौड़ता है।
जोनी ने अब खेलना शुरू किया है ।
रीना और सीमा धीरे-धीरे चल रही थी ।
कमलेश प्रतिदिन सैर को जाती है।
तुषार यहाँ नहीं आता है।
सुदेश सुंदर गीत लिखती है।
उसकी माँ बहुत थक गई है|
संबंधबोधक अव्यय
2.- संबंधबोधक अव्यय:- ये वे अव्यय होते हैं जो संख्या के बाद आकर संज्ञा का संबंध अन्य शब्दों से बताते हैं, इसलिए ये संबंध बोधक अव्यय कहलाते हैं।
जैसे- बाद, भर, के ऊपर, की और, कारण, ऊपर, नीचे, बाहर, भीतर, बिना, सहित, पीछे, से पहले, से लेकर, तक, के अनुसार, की खातिर आदि संबंधबोधक है।
संबंध बोधक अव्यय से सम्बन्धित कुछ वाक्यों के उदाहरण:-
मछली पानी के बगैर जीवित नहीं रह सकती।
आनिल कक्षा में दिन भर रहा।
सुरेश सिनेमा हॉल तक गया।
उनकी कोठी के समीप मैदान है।
मोहन खाना खाने के बाद जायेगा।
विनोद दिन भर कबड्डी खेलता है।
दीवार के ऊपर मोर बैठा है।
हेमा के घर के बाहर एक पार्क है |
तालाब के पास मेरी वर्कशॉप है।
धन के बिना कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता|
जमीला के भरोसे यह सारा खेल बिगड़ गया।
राजिंदर सूर्य उदय से पहले स्नान करता है।
शाम ने घर के सामने अशोक के पेड़ लगाये हैं।
समुच्चयबोधक अव्यय
4.- समुच्चयबोधक अव्यय :- जो शब्द दो शब्दों, वाक्यों और वाक्यांशों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं। इन्हें योजक भी कहा जाता है। ये शब्द दो वाक्यों को परस्पर जोड़ते हैं।
नोट:- इसलिए, और, तथा, लेकिन, मगर, व, किन्तु, परन्तु, इसलिए, इस कारण, अत:, क्योंकि, ताकि, या, अथवा, चाहे, यदि, कि, मानो, आदि, यानि, तथापि आदि समुच्चयबोधक अव्यय है।
जैसे :-
सूरज निकला और पुष्प महकने लगे।
विद्यालय की पूरी छुट्टी हुई और विद्यार्थी भागने लगे।
रेणु और मीनू पढने चली गईं।
कंवरपाल पढने में तो तेज है, परन्तु शरीर से कमजोर है।
आप जाओगे कि मैं जाऊं।
मामा जी और मामी जी।
नितेश दिल्ली आना चाहता था, लेकिन आ न सका।
तुम जाओगे या वह आयेगा।
जोगिन्दर निकम्मा है, इसलिए सब उससे घृणा करते हैं।
श्री कृष्ण बांसुरी बजाते है और राधा नाचती है।
यदि तुम मेहनत करते तो अवश्य सफल हो जाते ।
सुमन पढ़ती है और लता खेलती है।
समुच्चयबोधक अव्यय के भेद :-
(1) समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
(2) व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
(1) समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय:- वे अव्यय जो स्वतंत्र शब्दों, वाक्यांशों व वाक्यों को जोड़ने का कार्य करते है, उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं।
जैसे:- लेकिन, अत:, किन्तु, और, या, अथवा, तथा, परन्तु, व, इसलिए, एवं आदि समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय हैं |
समुच्चयबोधक अव्यय के वाक्य सहित उदाहरण-
मीनू और इशु एक कक्षा में पढ़ती हैं।
सोहन और मेरी पत्नी एवं मेरे साला-साली सभी साथ थे।
व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
(2) व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय :- वे अव्यय जो मुख्य वाक्य को एक या एक से अधिक उपवाक्यों से जोड़ने का कार्य करते है उन्हें व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं। ।
जैसे- जिससे कि, ताकि, चूँकि , इसलिए , यद्यपि , तथापि , कि , मानो , क्योंकि , यहाँ , तक कि, यदि , तो, यानि आदि व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय हैं |
व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय का वाक्यों में प्रयोग-
मोहन बीमार है, इसलिए वह कल नहीं आएगा।
यदि देव अपनी भलाई चाहता है , तो वंहा ना जाये|
मोहिनी ने दिन में ही अपना काम निपटा लिया, ताकि वह शाम को पिक्चर देखने जा सके ।
4.- विस्मयादिबोधक अव्यय :- जिन अव्यय शब्दों से हर्ष, शोक, विस्मय, ग्लानि ,लज्जा, घृणा,दुःख,आश्चर्य आदि के भावों का बोध होता है, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं। विस्मयादिबोधक अव्यय में (!) चिन्ह लगाया जाता है।
जैसे :-
वाह ! क्या लाजवाब पकौड़े है।
हाय! दादी चल बसी।
आह! मजा आ गया।
अरे! तुम अभी गए नहीं ।
छि:छि:! तुमने ये क्या कर दिया ।
वाह! वाह! कपिल भाई, तुमने तो कमाल कर दिया।
अहो! क्या बात है।
अहा! क्या खुशबु आ रही हैं।
अरे! आप आ कब आये।
हाय! अब उसका क्या होगा|
भावों के आधार पर विस्मयादिबोधक :-
हर्षबोधक :- अहा! , धन्य! , वाह-वाह! , ओह! , वाह! , शाबाश!
शोकबोधक :- आह! , हाय! , हाय-हाय! , हा, त्राहि-त्राहि, बाप रे!
विस्मयादिबोधक :- हैं! , ऐं! , ओहो! , अरे वाह
तिरस्कारबोधक :- छि:! , हट! , धिक्! , धत! , छि:छि:!
स्वीकृतिबोधक :- हाँ-हाँ! , अच्छा! , ठीक! , जी हाँ! , बहुत अच्छा
संबोधनबोधक :- रे! , री! , अरे! , अरी! , ओ! , अजी! , हैलो!
आशीर्वादबोधक :- दीर्घायु हो! , जीते रहो!
निपात अव्यय
5.- निपात अव्यय :- वे अव्यय शब्द जो किसी शब्द या पद के पीछे लगकर उसके अर्थ में विशेष बल लाते हैं, उन्हें निपात अव्यय कहते हैं। इसे अवधारक शब्द भी कहते हैं।
जैसे- भी , तो , तक ,मात्र , भर , मत , सा , जी , केवल आदि निपात अव्यय के उदाहरण है।
निपात अव्यय के वाक्य सहित उदाहरण-
अमित को ही करना होगा यह काम।
कल शोभा भी जाएगी।
तुम तो स्कूल तक ही गये थे|
पढाई मात्र से ही सब कुछ नहीं मिल जाता।
तुम शाम को जानते भर हो।
भूपिंदर ने ही हिरण को मार डाला था।
कविता भी मुंबई जाएगी।
कपिल तो कल घाटकोपर जाने वाला था।
शाहरूख ने ही पत्र लिखा था|